भारत की अर्थव्यवस्था इस वित्त वर्ष में पहले के अनुमान से थोड़ा तेज बढ़ने की उम्मीद है। रॉयटर्स के एक नए सर्वे के मुताबिक अर्थशास्त्रियों ने लगातार दूसरे महीने अपने ग्रोथ अनुमान बढ़ा दिए हैं, क्योंकि अप्रैल से जून तिमाही में GDP 7.8% बढ़ी, जो उम्मीद से कहीं ज्यादा थी। इस अच्छे प्रदर्शन के बाद अब भारत की आर्थिक वृद्धि को लेकर भरोसा और मजबूत हुआ है।
त्योहारी सीजन से पहले सरकार ने GST दरों में कमी की ताकि लोगों की खरीदारी बढ़े और बाजार में रौनक लौटे। इस फैसले से उम्मीद है कि बाजार में मांग और खर्च दोनों में तेजी आएगी। इसी वजह से ज्यादातर अर्थशास्त्रियों ने इस साल की GDP ग्रोथ का अनुमान या तो बढ़ा दिया है या पहले जैसा रखा है।
हालांकि, अमेरिका ने अभी भी भारतीय सामान पर 50% टैक्स लगाया हुआ है, जिससे निर्यात को नुकसान हो रहा है। लेकिन हाल में भारत और अमेरिका के बीच हुई अच्छी बातचीत से उम्मीद है कि आने वाले समय में यह टैक्स घट सकता है। अगर ऐसा होता है तो भारत के निर्यात कारोबार को बड़ी राहत मिलेगी और अर्थव्यवस्था को भी फायदा होगा।
सर्वे में शामिल 40 से ज्यादा अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इस वित्त वर्ष में भारत की GDP ग्रोथ औसतन 6.7% रह सकती है। यह पिछले महीने के 6.6% के अनुमान से थोड़ा ज्यादा है और अगस्त में दिए गए 6.3% के अनुमान से काफी बेहतर है। इसका मतलब है कि भारत की अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीरे-धीरे लेकिन लगातार बढ़ रही है और विकास का रुझान मजबूत बना हुआ है।
इस सर्वे में शामिल 50 में से 34 अर्थशास्त्रियों का मानना है कि RBI दिसंबर में ब्याज दरों में 0.25% की कटौती कर सकता है। फिलहाल रेपो रेट 5.50% पर बनी हुई है। केंद्रीय बैंक ने अक्टूबर में इशारा दिया था कि महंगाई घटने से अब अर्थव्यवस्था को सहारा देने की गुंजाइश बनी है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस साल महंगाई औसतन 2.5% रह सकती है और अगले साल बढ़कर लगभग 4.2% तक पहुंच सकती है।
HDFC बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता का कहना है कि सरकार की नीतियों और गांवों में अर्थव्यवस्था के बेहतर हालात की वजह से देश की GDP ग्रोथ का अनुमान थोड़ा बढ़ाया गया है। वहीं ICICI सिक्योरिटीज के अर्थशास्त्री अभिषेक उपाध्याय ने कहा कि अमेरिका के ज़्यादा टैक्स से भारत को कुछ नुकसान हुआ है, लेकिन अगर ये टैक्स कम हुआ तो साल की दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था पहले से ज़्यादा तेज़ी से बढ़ सकती है। सर्वे के मुताबिक, अगले दो सालों में भी भारत की GDP ग्रोथ करीब 6.5% रहने की उम्मीद है।
हाल ही में टैक्स कटौती से घरेलू मांग में थोड़ी राहत जरूर मिलेगी, लेकिन सवाल यह है कि क्या इससे निजी निवेश में दोबारा तेजी आएगी? क्योंकि निजी निवेश ही वह क्षेत्र है जो हर साल लाखों नए रोजगार पैदा करता है। Union Bank of India की चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर कनिका पसरीचा का कहना है कि जब तक अनिश्चितता बनी रहती है, निवेश पर असर पड़ता है। जैसे ही माहौल स्थिर होगा, निजी निवेश में फिर से सुधार देखने को मिल सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि GST सुधारों का असर धीरे-धीरे दिखेगा, क्योंकि अभी दुनियाभर में आर्थिक अस्थिरता बनी हुई है, जो पूंजी निवेश को धीमा कर रही है।
कुल मिलाकर, रॉयटर्स के इस सर्वे से साफ है कि भारत की अर्थव्यवस्था अभी भी मजबूत है और विकास की रफ्तार कायम है। त्योहारी सीजन की बढ़ती मांग, GST में राहत और RBI की संभावित दर कटौती जैसे कारक आने वाले महीनों में ग्रोथ को और तेज कर सकते हैं। अगर वैश्विक माहौल स्थिर रहा और अमेरिकी टैक्स में ढील मिली, तो भारत आने वाले वर्षों में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में अपनी स्थिति और मजबूत कर सकता है। (रॉयटर्स के इनपुट के साथ)