थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई तरह नवंबर में 9 महीने के उच्च स्तर 1.55 प्रतिशत पर पहुंच गई है। हालांकि इस दौरान खाद्य कीमतों में उल्लेखनीय गिरावट आई है और यह अक्टूबर के 6.37 प्रतिशत से घटकर नवंबर में 3.94 प्रतिशत रह गई है। हाल के महीनों में महंगाई दर बढ़ाने में प्याज की अहम भूमिका रही है, जिसके दाम नवंबर में कम हुए हैं।
नवंबर लगातार चौथा महीना है, जब थोक महंगाई बढ़ी है। इसके पहले कई महीने तक अवस्फीति की स्थिति थी। खाद्य महंगाई में सभी प्रमुख सब्जियों के दाम नवंबर महीने में 12.24 प्रतिशत बढ़े हैं, जो इसके पहले के 25.23 प्रतिशत की तुलना में करीब आधा है।
बहरहाल नवंबर महीने में आलू के दाम 115.2 प्रतिशत अधिक रहे, जो इसके पहले महीने में 107.70 प्रतिशत अधिक थे। फलों के दाम में लगातार चौथे महीने गिरावट दर्ज की गई है।
दलहन की कीमतें 13.04 प्रतिशत बढ़ी हैं, हालांकि यह पिछले महीने के 15.93 प्रतिशत की बढ़ोतरी से कम है।
बर्कले में मुख्य भारत अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने कहा, ‘हम देख रहे हैं कि खराब होने वाले फलों के दाम में बढ़ोतरी कम हो रही है, लेकिन खराब न होने वाले खाद्य की कीमतों में कमी सीमित है।’ गैर खाद्य प्राथमिक वस्तुओं में तिलहन की महंगाई दर नवंबर में 8,29 प्रतिशत रही है, जो इसके पहले महीने में 4.36 प्रतिशत थी।
ईंधन और बिजली की श्रेणी में कीमतों में कमी जारी है क्योंकि नवंबर में पेट्रोल, डीजल और तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) के दाम घटे हैं।
विनिर्मित वस्तुओं का डब्ल्यूपीआई में हिस्सा सबसे ज्यादा 64 प्रतिशत होता है, जो 2.97 प्रतिशत हो गया है, जो पहले 2.12 प्रतिशत था। यहां तक कि प्रसंस्कृत खाद्य की कीमतेंं भी 4.53 प्रतिशत से घटकर 5.95 प्रतिशत हो गई हैं। प्रमुख महंगाई, जो मुख्य रूप से गैर खाद्य विनिर्मित वस्तुओं से जुड़ी है, नवंबर में 22 महीने के उच्च स्तर 2.6 प्रतिशत पर है।
गैर खाद्य विनिर्मित वस्तुओं में बुनियादी धातुओं की महंगाई दर 5.32 प्रतिशत से बढ़कर 7.16 प्रतिशत पर पहुंच गई है।