केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के 1.4 लाख करोड़ रुपये राज्यों के सिंगल नोडल एजेंसी (एसएनए) खातों में पड़े हैं, जिनका इस्तेमाल नहीं हो पाया। वित्त वर्ष 2026 के बजट के मुताबिक इसमें प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण, जल जीवन मिशन, शहरी पुनरुद्धार मिशन और स्वच्छ भारत मिशन-शहरी योजना के लिए आवंटित राशि प्रमुख रूप से शामिल है। बगैर इस्तेमाल की गई कुल राशि में इन 4 योजनाओं के लिए आवंटित राशि की हिस्सेदारी करीब 40 प्रतिशत है।
प्रत्येक योजना के लिए राज्य सरकार एक एसएनए नियुक्त करती है और अधिसूचित वाणिज्यिक बैंक में इसका खाता खोला जाता है, जिससे खर्च करने की रफ्तार के मुताबिक समय से धनराशि जारी की जा सके। वित्त मंत्रालय ने बजट में कहा है, ‘केंद्र सरकार या राज्य सरकारें विकास योजनाओं या कल्याणकारी योजनाओं के लिए धन उधार लेती हैं। इस व्यवस्था से धन के इधर उधर इस्तेमाल या बेकार पड़े रहने से बचाया जा सकता है। इसकी वजह से ब्याज पर आने वाले खर्च में बचत होती है और आगे किसी उत्पादक कार्य के लिए धन मुहैया हो जाता है। इस मॉडल से वास्तविक व पारदर्शी बजट व्यवस्था सुनिश्चित होती है।’ ऐसा पहली बार हुआ है कि सरकार ने एसएनए खातों की स्थिति के बारे में बजट में बयान दिया है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘यह बेहतर अकाउंटिंग और राजकोषीय प्रबंधन की दिशा में एक कदम है।’
वित्त वर्ष 2026 के केंद्रीय बजट में केंद्र सरकार की योजनाओं के लिए 1.6 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो इसके पहले के वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान से 7.2 प्रतिशत ज्यादा है। जल जीवन मिशन के तहत 67,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो वित्त वर्ष 2025 के संशोधित अनुमान से 22,694 करोड़ रुपये ज्यादा है। वित्त वर्ष 2025 में इस मिशन के तहत 70,162 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, लेकिन इसका आधा भी इस्तेमाल नहीं हो सका था और अभी भी एसएनए खाते में 13,783 करोड़ रुपये पड़े हैं। स्वच्छ भारत मिशन-शहरी में एसएनए खाते में 12,319 करोड़ रुपये पड़े हैं, जो 5,000 करोड़ रुपये बजट आवंटन से अधिक है। प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण में सबसे ज्यादा एसएनए खाते में 14,715 करोड़ रुपये हैं, जो किसी भी अन्य केंद्र प्रायोजित योजना की तुलना में ज्यादा है। 500 शहरों के पुनरुत्थान के लिए लाए गए अमृत (अटल मिशन फॉर रिजुवेनेशन ऐंड अर्बन ट्रांसफार्मेशन) के एसएनए खाते में भी बड़ी धनराशि पड़ी हुई है। इस योजना में 12,378 करोड़ रुपये बगैर इस्तेमाल किए हुए पड़े हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बगैर इस्तेमाल के पड़ी धनराशि केंद्र और राज्य सरकारों के लिए उपलब्ध है और अतिरिक्त धन की मांग के पहले वे उसका इस्तेमाल कर सकते हैं। बजट पर हुई चर्चा के दौरान जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा, ‘इससे पता चलता है कि राज्यों के स्तर पर योजना लागू करने में चुनौतियां हैं और राज्य के स्तर पर समस्याओं को दूर करने की जरूरत है।’