अर्थव्यवस्था की स्थिति पर भारतीय रिजर्व बैंक की मासिक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत-अमेरिका के बीच व्यापार नीतियों से समग्र मांग में गिरावट का जोखिम पैदा हो गया है। अनुकूल वित्तीय स्थितियों के साथ-साथ ब्याज दरों में कटौती के असर, सहायक राजकोषीय उपायों और बढ़ती घरेलू मांग के कारण अब तक स्थिति बेहतर बनी हुई थी।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि निकट भविष्य के हिसाब से महंगाई दर का परिदृश्य पहले की अपेक्षा अधिक अनुकूल हो गया है। समग्र महंगाई दर दूसरी तिमाही में 4 प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे आने की संभावना है तथा उसके बाद इस वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में इसमें वृद्धि होगी। इसमें कहा गया है, ‘कुल मिलाकर औसत समग्र महंगाई दर इस साल लक्ष्य से उल्लेखनीय रूप से नीचे रहने की उम्मीद है।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि आगे चलकर मौद्रिक नीति आने वाले आंकड़ों और घरेलू वृद्धि और महंगाई की चाल पर निर्भर होगी और उसी के मुताबिक मौद्रिक नीति की उचित राह तय होगी।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि एसऐंडपी द्वारा सॉवरिन रेटिंग बढ़ाया जाना बॉन्ड बाजारों के लिए बेहतर है। इससे न सिर्फ मौद्रिक नीति की विश्वसनीयता बढ़ेगी, बल्कि इससे उधारी की लागत भी कम हो सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘एसऐंडपी द्वारा भारत की सॉवरिन रेटिंग में सुधार, भविष्य में पूंजी की आवक और सॉवरिन यील्ड के लिए शुभ संकेत है।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के लिए एसऐंडपी सॉवरिन रेटिंग बढ़ाए जाने से आगे चलकर उधारी की लागत में कमी लाने, निवेशकों का विश्वास बढ़ाने व विदेशी पूंजी की आवक बढ़ाने में सहयोगी साबित होने की संभावना है।
रेटिंग बढ़ाया जाना तेज आर्थिक वृद्धि, मौद्रिक नीति की बढ़ी हुई विश्वसनीयता और राजकोषीय समेकन के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता पर आधारित है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि रेटिंग बढ़ाए जाने के बाद सरकारी बॉन्ड के यील्ड में गिरावट आई, लेकिन अगले ही कारोबारी सत्र में सरकार द्वारा जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने की घोषणा के कारण रुझान उलट गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि सॉवरिन बॉन्ड यील्ड में वृद्धि की वजह व्यापार संबंधी मसले हैं।