जून महीने में शहरी उपभोक्ता धारणा जुलाई 2019 के बाद अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) का शहरी भारत का उपभोक्ता धारणा सूचकांक जून में 60 माह के उच्च स्तर पर पहुंच गया था। यह सूचकांक इसके पिछले यानी मई माह की तुलना में छह फीसदी बढ़ गया और इसने ग्रामीण क्षेत्र से बेहतर प्रदर्शन किया।
इस सूचकांक की गणना सीएमआईई के कंज्यूमर पिरामिड हाउसहोल्ड सर्वे के आधार पर होती है। इसमें परिवारों की स्थितियां, उनकी अपेक्षाएं और उपभोक्ता सामान पर खर्च करने की प्रवृत्ति को ध्यान में रखा जाता है। हालांकि पूरे भारत के सूचकांक में 0.3 फीसदी की गिरावट आई। इसका कारण ग्रामीण क्षेत्र का कमजोर होना है।
ग्रामीण उपभोक्ता धारणा वित्त वर्ष 25 में अपने सर्वाधिक निचले स्तर पर पहुंच गई है। यह मई की तुलना में 3.8 फीसदी कम है। कुल उपभोक्ता धारणा कुछ अधिक है और यह महामारी के पूर्व के स्तर से ऊंची है। हालांकि शहरी उपभोक्ता धारणा सूचकांक अब भी जून 2019 की तुलना में कम है। ग्राणीण सूचकांक में 2019 की तुलना में 3 फीसदी की मामूली बढ़त हुई है। वर्ष 2019 के जून की तुलना में जून 2024 में कुल सूचकांक 2 फीसदी अधिक है।
देश के सभी आय समूहों में उपभोक्ता धारणा में सुधार असमान है। जून 2019 की तुलना में जून 2024 में सालाना 1 लाख रुपये या उससे कम आय वाले सबसे कम आय खंड की धारणा में 0.4 फीसदी की गिरावट आई है। इसी तरह 1 लाख से 2 लाख रुपये सालाना आय वाले लोगों की धारणा में 3.8 फीसदी की गिरावट आई। इस क्रम में 2 लाख से 5लाख रुपये सालाना आय वाले समूह की धारणा में भी 1.2 फीसदी की गिरावट हुई। सिर्फ 5 से 10 लाख रुपये सालाना आय वालों समूह की धारणा में वृद्धि हुई।