कार्यस्थल की यात्रा सामान्य समय के मुकाबले करीब 70 प्रतिशत स्तर पर है। यातायात और उत्सर्जन जैसे अन्य संकेतक भी बढ़ी हुई गतिविधियों के संकेत दे रहे हैं। मई में 4,00,000 से अधिक मामलों के शीर्ष स्तर की तुलना में रविवार को समाप्त होने वाले सप्ताह में कोविड के दैनिक संक्रमित मामलों की संख्या 50,000 और 70,000 के बीच रही।
देश भर में प्रतिबंधों और लॉकडाउन में ढील की वजह से लोग अपने घरों से बाहर निकलने लगे हैं। सर्च इंजन गूगल के आवागमन के आंकड़ों अनुसार पार्कों, बाहर आने-जाने वाले स्टेशनों और आवश्यक खरीदारी में वृद्धि देखी गई है। ये आंकड़े एक अंतराल के बाद जारी किए जाते हैं और नवीनतम आंकड़े 16 जून तक के हैं। अन्य सभी आंकड़े रविवार, 20 जून तक के हैं।
प्रतिबंध हटने से भी सड़कों पर यातायात में इजाफा नजर आया है। मई के मध्य से यातायात बढ़ रहा है। स्थिति की जानकारी देने वाली वैश्विक प्रौद्योगिकी फर्म टॉम टॉम इंटरनैशनल के आंकड़ों के अनुसार मुंबई और नई दिल्ली दोनों ही जगह यातायात की भीड़-भाड़ अब सामान्य समय के मुकाबले 50 प्रतिशत से अधिक है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन पर भी निगाह रखता है। यह एक ऐसा प्रदूषक होता है, जो औद्योगिक गतिविधियों और वाहनों से पैदा होता है। मुंबई और दिल्ली दोनों में ही पहले दिखे स्तर की तुलना में उत्सर्जन में इजाफा नजर आया है। हालांकि ये स्तर अब भी वर्ष 2019 की तुलना में कम हैं।
अलबत्ता दो सप्ताह के सुधार के बाद बिजली की मांग कम होती दिख रही है। दो साल पहले वर्ष 2019 में इसी सप्ताह के मुकाबले बिजली उत्पादन लगभग पांच प्रतिशत कम था। वर्ष 2020 की तुलना में पिछले सप्ताह साप्ताहिक उत्पादन औसतन चार प्रतिशत अधिक था, जबकि पिछले सप्ताह सालाना आधार पर इसमें 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। हालांकि बिजली की मांग में इस नरमी का श्रेय मॉनसून के समय पर आगमन और देश के प्रमुख भागों में इसके तेजी से फैलाव को दिया जा सकता है, न कि आर्थिक गतिविधियों में सामान्य गिरावट को। इस बीच भारतीय रेलवे ने वर्ष 2020 की तुलना में माल की अधिक ढुलाई की है। पिछले साल देशव्यापी लॉकडाउन ने इस वर्ष के आंकड़ों के लिए लो बेस तैयार किया था। ऐसा लगता है कि यह धीरे-धीरे हल्का पड़ रहा है। नवीनतम सप्ताह में माल ढुलाई की सालाना आधार पर वृद्धि दर पिछले साल के 30.1 प्रतिशत के मुकाबले 14.1 है। माल ढुलाई से होने वाली आमदनी पिछले वर्ष के 41.5 प्रतिशत के मुकाबले 20.4 प्रतिशत अधिक है। पिछले साल देशव्यापी लॉकडाउन में जून में ढील मिलने लगी थी।
अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में जानने वाले साधन के तौर पर बिज़नेस स्टैंडर्ड इन आर्थिक संकेतकों पर नजर रखता है। अर्थव्यवस्था के विस्तृत आधिकारिक आंकड़े आम तौर पर कुछ अंतराल के बाद जारी किए जाते हैं। वैश्विक स्तर पर विश्लेषक इसी प्रकार के संकेतकों पर नजर रख रहे हैंं ताकि यह पता चल सके कि विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाएं कोविड-19 महामारी को नियंत्रित करने के लिए लगाए गए लॉकडाउन से कैसे निपट रही हैं।
