वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने आज कहा कि भारत इस समय ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, बांग्लादेश, यूरोपीय संघ (ईयू), संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) देशों, और इजरायल के साथ कारोबारी समझौते करने की दिशा में बढ़ रहा है।
गोयल ने कहा कि भारत इस समय बड़े कारोबारी समझौते के हिस्से के रूप में ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के साथ शुरुआती कारोबारी समझौते पर काम कर रहा है, वहीं अमेरिका ने संकेत दिया है कि वह भारत के साथ नया कारोबारी समझौता करने को इच्छुक नहीं है।
गोयल ने निर्यात संवर्धन परिषद को संबोधित करते हुए कहा, ‘ब्रिटेन के साथ प्रगति बेहतर है। दल एक दूसरे से बात कर रहे हैं और संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। मंत्रालय उन क्षेत्रों को चिह्नित कर रहे हैं, जहां तेजी से और जल्द समझौता हो सकता है और इसका जल्द लाभ उठाया जा सकता है। बेहतर होगा कि हम 11,000 शुल्कों का समाधान करने की कवायद के बजाय अपनी रुचि वाले क्षेत्रों पर विचार करें और जल्द लाभ देने वाला एक समझौता करें फिर शेष समझौते पर बातचीत की जाए।’
अमेरिका ने संकेत दिए हैं कि वह भारत के साथ किसी नए कारोबारी समझौते पर विचार नहीं कर रहा है। इसके बजाय दोनों देश बाजार की पहुंच के मसले का समाधान करने पर काम करेंगे, जो निर्यातकों के लिए बेहतर मौका होगा। इसके पहले भारत ने अमेरिका के साथ छोटे कारोबारी समझौते के लिए बातचीत की थी। बहरहाल यह समझौता नहीं हो सका। ऑस्ट्र्रेलिया ने भी इस तरह के समझौते में रुचि दिखाई है और जल्द परिणाम देने वाला समझौता (अर्ली हार्वेस्ट डील) करने को इच्छुक है। जल्द परिणाम देने वाला समझौता एफटीए के पहले होता है, जिसमें कारोबारी साझेदार कारोबार को प्रोत्साहन देने के लिए सीमित वस्तुओं पर कर बाधाएं दूर करते हैं।
पहले के अनुभवों को देखते हुए भारत ने कारोबारी समझौते करने की रणनीति तैयार की है। मंत्री ने कहा कि हमारी कवायद है कि उन देशों पर ध्यान केंद्रित किया जाए, जहां उल्लेखनीय क्षमता है, जहां हम बेहतर प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं और जहां बाजार का आकार उल्लेखनीय है। भारत और यूरोपीय संघ के बीच कारोबारी समझौता को अंतिम रूप देने की राह आसान नहीं है, क्योंकि इसमें 27 देश शामिल हैं और 8 साल के अंतराल के बाद बातचीत शुरू हुई है।
निर्यात उत्पादों पर शुल्क और कर छूट योजना (आरओडीटीईपी) योजना के बारे में गोयल ने कहा कि इसमें स्टील, दवा और रसायन जैसे क्षेत्रों को नहीं रखा गया है, क्योंकि पर्याप्त बजट नहीं है। गोयल ने कहा, ‘लेकिन हम इन क्षेत्रों की चिंता पर विचार करने को लेकर सकारात्मक हैं और अगर किसी को लगता है कि कोई चूक हुई है, तो उसे दुरुस्त करेंगे।’
सेमीकंडक्टर उद्योग को मदद करेगी सरकार
गोयल ने गुरुवार को कहा कि सरकार भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग स्थापित करने में मदद करने को प्रतिबद्ध है, जिससे विदेशी मुद्रा का प्रवाह रोकने में भी मदद मिलेगी। गोयल ने कहा, ‘दो ऐसे क्षेत्र हैं, जिन पर हमें एक देश के रूप में ध्यान देने की जरूरत है। एक यह है कि हम किस तरहसे भारत की शिपिंग का विस्तार करें दूसरा सेमीकंडक्टर उद्योग है, जिसकी पूरी दुनिया में कमी है। सरकार इन दोनों क्षेत्रों की मदद के लिए प्रतिबद्ध है।’