facebookmetapixel
टेक बेरोजगारी और अतीत से मिले सबक: क्या AI से मानवता के सिर पर लटकी है खतरे की तलवार?खपत के रुझान से मिल रहे कैसे संकेत? ग्रामीण उपभोग मजबूत, शहरी अगले कदम परEditorial: प्रतिस्पर्धा में हो सुधार, नीति आयोग ने दी चीन और आसियान पर ध्यान देने की सलाहबिहार विधान सभा चुनाव: भाजपा ने चिराग पासवान से संपर्क साधा, सीट बंटवारे पर की बातचीतप्रधानमंत्री मोदी कल देंगे नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का तोहफापंजाब ने ‘कोल्ड्रिफ’ की बिक्री पर लगाया प्रतिबंध, मिलावटी कफ सिरप से 16 बच्चों की मौत!ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025 : हथियार के रूप में न हो तकनीक – सीतारमणपीएम-कुसुम की समय-सीमा फिर बढ़ा सकती है सरकार, कई घटक लक्ष्य से पीछेखदानों से कोयला पहुंचाने वाली 7 अहम रेल परियोजनाओं को समय पर पूरा करने पर जोरबीमा पॉलिसी के एवज में लोन शर्तों को एफडी, गोल्ड लोन या टॉपअप लोन के मुकाबले जांच लें

रक्षा खर्च बढ़ाने का यही सही समय: रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह

सरकार ने वित्त वर्ष 2026 के लिए रक्षा मंत्रालय को 6.81 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। यह आवंटन वित्त वर्ष 2026 के समग्र राष्ट्रीय बजट का 13.45 फीसदी है।

Last Updated- June 04, 2025 | 11:45 PM IST
Defence Secretary Rajesh Kumar Singh
रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह

रक्षा मंत्रालय ने आवंटित बजट के उपयोग और अनुबंधों पर हस्ताक्षर करते हुए घरेलू रक्षा औद्योगिक बुनियाद के विस्तार एवं विविधीकरण में एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव हासिल किया है। यह बात रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कही। उन्होंने कहा कि इससे रक्षा बजट को वित्त वर्ष 2029-30 तक बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के कम से कम 2.5 फीसदी तक करने के लिए परि​स्थितियां अब अनुकूल हो रही हैं। फिलहाल यह आंकड़ा जीडीपी का 1.9 फीसदी है।

रक्षा सचिव ने 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ संघर्ष के बीच उभरती भू-राजनीतिक चुनौतियों के मद्देनजर रक्षा मद में आवंटन बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पिछले 5 वर्षों में पहली बार वित्त वर्ष 2025 में सैन्य आधुनिकीकरण बजट के पूरी तरह इस्तेमाल होने और रिकॉर्ड 2 लाख करोड़ रुपये के अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद रक्षा मंत्रालय आवंटन बढ़ाने की मांग कर सकता है।

उन्होंने कहा, ‘उम्मीद है कि अगले 5 वर्षों में रक्षा मद में आवंटन जीडीपी का कम से कम 2.5 फीसदी हिस्सा होगा।’ सिंह ने कहा, ‘2.5 फीसदी के पड़ाव तक पहुंचना 3 फीसदी के मध्याव​धि लक्ष्य की ओर पहला कदम होगा। इसमें सशस्त्र बलों पर पूंजीगत व्यय जीडीपी के मौजूदा 0.5 फीसदी से बढ़कर 0.8 फीसदी हो जाएगा।’ मगर अ​धिक आवंटन के लिए अगले बजट में उचित समय पर ही विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर चालू वर्ष के लिए अतिरिक्त रकम की व्यवस्था संशोधित अनुमान (आरई) के तहत की जाएगी, क्योंकि बजट अनुमान (बीई) को अंतिम रूप दिया जा चुका है।

वित्त वर्ष 2020 से 2025 के दौरान भारत के रक्षा व्यय में केंद्र सरकार के व्यय (सीजीई) और जीडीपी दोनों के प्रतिशत में गिरावट स्पष्ट तौर पर दिखी है। मगर निरपेक्ष रूप से इसमें वृद्धि दर्ज की गई है। सीजीई में रक्षा मद का हिस्सा वित्त वर्ष 2020 में 16.86 फीसदी से घटकर वित्त वर्ष 2025 में 12.90 फीसदी रह गया। इस दौरान जीडीपी में उसका हिस्सा भी 2.25 फीसदी से घटकर 1.91 फीसदी रह गया।

सरकार ने वित्त वर्ष 2026 के लिए रक्षा मंत्रालय को 6.81 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। यह आवंटन वित्त वर्ष 2026 के समग्र राष्ट्रीय बजट का 13.45 फीसदी है। यह रकम सभी मंत्रालयों के आवंटन में सबसे अधिक और जीडीपी की 1.91 फीसदी है।

वित्त वर्ष 2020 से वित्त वर्ष 26 के बीच सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के लिए बजट अनुमान 80,959.08 करोड़ रुपये से बढ़कर 1.49 लाख करोड़ रुपये हो गया जो करीब 83.7 फीसदी अ​धिक है। वित्त वर्ष 2020 से वित्त वर्ष 2024 के बीच सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण पर कुल वास्तविक व्यय तीन वर्षों के संशोधित अनुमानों के तहत किए गए आवंटन से अधिक रहा। वित्त वर्ष 2020 में 0.97 फीसदी, वित्त वर्ष 2021 में 4.06 फीसदी और वित्त वर्ष 2022 में 0.06 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई। मगर वित्त वर्ष 2023 और वित्त वर्ष 24 में वास्तविक व्यय में कमी आई।

सूत्रों ने कहा कि अ​धिक आवंटन से आत्मनिर्भरता को बल मिलेगा। रक्षा मंत्रालय ने रक्षा विनिर्माण एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए 2021 से रक्षा आधुनिकीकरण बजट का एक हिस्सा (75 फीसदी) घरेलू उद्योगों के लिए निर्धारित करना शुरू कर दिया है।

First Published - June 4, 2025 | 11:09 PM IST

संबंधित पोस्ट