आरबीआई की वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट में वास्तविक अर्थव्यवस्था और इक्विटी बाजार में तेजी के बीच असमानता होने की बात कही गई है।
केंद्रीय बैंक का मानना है कि भारतीय इक्विटी महंगे मूल्यांकन पर कारोबार कर रहे थे और पीई मल्टीपल, पीबी अनुपात, बाजार पूंजीकरण-जीडीपी जैसे कई मानक और चक्रीयता ने पीई अनुपात को ऐतिहासिक औसत से ऊपर समायोजित किया।
उदाहरण के लिए, 13 दिसंबर को, भारत के लिए एक वर्षीय आगामी पी/ई अनुपात 35.1 प्रतिशत पर था, जो उसके 10 वर्षीय औसत से ऊपर और दुनिया में सर्वाधिक में से एक है। आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मजबूत निवेशक दिलचस्पी से पी/ई अनुपात काफी बढ़ गया है।
असामान्य ऊंचे मूल्यांकन से अस्थिरता में भी इजाफा हुआ था। अस्थिरता के मापक माने जाने वाले एनएसई वीआईएक्स में इस साल सितंबर से तेजी आनी शुरू हुई। जुलाई के अंत में 11.8 के निचले स्तर पर पहुंचने के बाद इसमें तेजी शुरू हुई। एनएसई वीआईएक्स 13 दिसंबर को 16.6 पर था, जो कोविड-पूर्व स्तर के मुकाबले थोड़ा ज्यादा था, हालांकि अपने 17.8 के पांच वर्षीय औसत के मुकाबले अभी भी कुछ कम है।
कैश सेगमेंट में संस्थागत कारोबारियों में, घरेलू संस्थागत निवेशकों, खासकर म्युचुअल फंड अप्रैल-नवंबर 2021 के दौरान शुद्घ खरीदार रहे, जिससे विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा की गई बिकवाली की काफी हद तक भरपाई हो गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां एनएसई सूचीबद्घ कंपनियों में रिटेल होल्डिंग दिसंबर 2019 और इस साल सितंबर के बीच बढ़ी थीं, वहीं इक्विटी म्युचुअल फंडों में उनका निवेश घटा।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इक्विटी बाजार में मौजूदा तेजी की मुख्य विशेषताओं में से एक छोटे निवेशकों की बढ़ती भागीदारी है, जिनकी शेयरधारिता वैल्यू के संदर्भ में, एनएसई पर सूचीबद्घ कंपनियों में दिसंबर 2019 के 6.4 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर 2021 में 7.1 प्रतिशत हो गई।’ इसके अलावा रिटेल दिलचस्पी में भारी वृद्घि एक्सचेंजों पर बढ़ते कारोबार, आईपीओ में भागीदारी वृद्घि और वायदा एवं विकल्प जैसे अन्य बाजार खंडों में तेजी के तौर पर स्पष्ट दिखी है।
दूसरी तरफ, इक्विटी म्युचुअल फंड योजनाओं में रिटेल भागीदारी का अनुपात मार्च और इस साल सितंबर के बीच 39 प्रतिशत से घटकर 38.1 प्रतिशत रह गया।
इसके अलावा, मार्च 2020 के महामारी संकट के बाद से ओपन एंडेड म्युचुअल फंडों की कुल एयूएम में तेजी से इजाफा हुआ है।
डेट म्युचुअल फंडों की लिक्विड परिसंपत्तियों का अनुपात 2018 के मध्य में आईएलऐंडफएस संकट के बाद की अवधि में सर्वाधिक रहा। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हालांकि इसने विशेष तरह के फंड के झटकों के खिलाफ दीवार के सुरक्षा कवच के तौर पर काम किया, लेकिन ओपन एंडेड एमएफ को प्रभावित करने वाले झटके का सेकंडरी जी-सेक सेगमेंट के प्रवाह पर प्रभाव पड़ सकता है।’
आरबीआई ने यह भी कहा है कि जहां डेट फंडों की कुल राशि में इजाफा हुआ था, वहीं म्युचुअल फंडों की कॉरपोरेट बॉन्ड होल्डिंग्स में कमी आई और रेटिंग मिश्रण के संदर्भ में पोर्टफोलियो निर्माण बेहतर रेटिंग कंपनियों के अनुकूल रहा है।