वित्त वर्ष 2024 में भारत की 8.2 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि (GDP Growth) कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं से अधिक होगी और वृद्धि की गति वित्त वर्ष 25 के पहले 2 महीनों में जारी रहेगी। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
सूत्र ने कहा, ‘घरेलू आर्थिक गतिविधि मजबूत बनी हुई है। इसे मजबूत निवेश मांग, कारोबार में तेजी और उपभोक्ताओं की धारणा, कॉर्पोरेट की मजबूती और बैंकों के बैलेंस शीट से समर्थन मिल रहा है।’
वित्त वर्ष 2025 में सरकार यह फैसला करेगी कि राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी के 5.1 प्रतिशत से कम किया जाए या इसे और घटाया जाए।
सूत्रों ने कहा कि बेहतर मॉनसून की उम्मीद के कारण कृषि क्षेत्र की वृद्धि चालू वित्त वर्ष में बेहतर रहने की उम्मीद है। विनिर्माण क्षेत्र की भी वृद्धि की रफ्तार जारी रहने की संभावना है। 2020 के पहले बैलेंस शीट का मसला था और वृद्धि में स्थिरता थी। दूसरे दशक में यह ठीक हो रहा है।
कृषि क्षेत्र के सकल मूल्यवर्धन (GVA) में वृद्धि वित्त वर्ष 2024 में 1.4 प्रतिशत रही, जो वित्त वर्ष 2023 में 4.7 प्रतिशत थी। कम आधार के असर के कारण मैन्युफैक्चरिंग जीवीए वित्त वर्ष 2024 में 9.9 प्रतिशत बढ़ा है, वित्त वर्ष 2023 में इसमें 2.2 प्रतिशत की कमी आई थी।
सूत्रों ने कहा कि जीडीपी के आंकड़ों से पता चलता है कि निजी गैर वित्तीय सकल नियत पूंजी सृजन ने पिछले 2 साल में रफ्तार पकड़ी है और जनवरी मार्च 2024 के दौरान इसमें 4.6 प्रतिशत चक्रवृद्धि सालाना वृद्धि दर दर्ज की गई है।
सूत्र ने कहा, ‘भूराजनीतिक व्यवधानों को अगर छोड़ दें तो शेष दशक में निजी पूंजीगत व्यय, वृद्धि और रोजगार का महत्त्वपूर्ण चालक होगा।’ सूत्रों ने यह भी संकेत दिए हैं कि पूर्ण आर्थिक समीक्षा बजट के पहले प्रकाशित की जाएगी।
सूत्रों ने कहा कि सरकार अभी चल रहे लाल सागर संकट को देखते हुए शिपिंग दरों पर लगातार नजर बनाए हुए है क्योंकि शिपिंग में व्यवधान का बुरा असर पूंजी सृजन पर हो सकता है।
अर्थव्यवस्था में गिरावट के कुछ जोखिमों में प्रत्यक्ष स्टॉक निवेश के माध्यम से स्टॉक में बढ़ती खुदरा हिस्सेदारी है। सूत्रों ने बताया कि डेरिवेटिव्स की स्थिति घरेलू बचत दर को बढ़ने से रोकती है, लेकिन यह कोई ढांचागत जोखिम नहीं है।
सूत्रों ने कहा कि युवा निवेशकों ने बाजार की गिरावट नहीं देखी है और इसलिए हम देखेंगे कि जब वे नुकसान उठाएंगे तो किस तरह की प्रतिक्रिया देते हैं।प्रमुख केंद्रीय बैंकों के मौद्रिक नीति आसान बनाने की राह से हटने के कारण भी अनिश्चितता बढ़ सकती है।