दुनिया में फैली मंदी की महामारी के चलते कोमा में पहुंचते भारतीय कारोबारी जगत की आपात दवा सरकार की नजर में नकदी के संकट से उसे बचाना है।
लिहाजा शुक्रवार को जैसे ही बाजार के चारों खाने चित होने की खबर मिली, फौरी कार्रवाई के तौर पर उसने नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) में एक फीसदी की कटौती कर दी। इस कदम से बाजार में करीब 60,000 करोड़ रुपये आ जाएंगे।
भारतीय रिजर्व बैंक ने इसी हफ्ते इसमें 0.50 फीसदी की कटौती की थी। सीआरआर में कुल 1.50 फीसदी की कटौती के बाद यह दर 7.50 फीसदी पर पहुंच गई। चिदंबरम चौकन्ने, समिति बनाएंगे: वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि मुख्य समस्या नकदी की है और सरकार इससे निपटने के लिए कुछ करने को तैयार है। उन्होंने वित्त सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति की स्थापना करने की घोषणा की है ताकि नकदी की जरूरत का आकलन किया जा सके।
अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे दबाव के मद्देनजर वित्तीय संकट पर वैश्विक नेताओं से बातचीत करने के लिए वॉशिंगटन गए चिदंबरम ने एक बयान में कहा- मैंने समूह (समिति) से कहा है कि तुरंत काम शुरू करे, मुंबई का दौरा करे और एक सप्ताह के दौरान अंतरिम रपट सौंपे। उन्होंने यह आश्वासन बी दिया कि जल्द ही और जरूरी कदम भी उठाए जाएंगे।
प्रधानमंत्री ने भी बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की एक विशेष बैठक की थी, जिसमें भारतीय अर्थव्यवस्था पर वैश्विक संकट के पड़ रहे प्रभाव का आकलन किया गया।
बॉन्ड की नीलामी निरस्त: तरलता की मौजूदा समस्या को देखते हुए सरकार ने 10,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड की नीलामी भी निरस्त कर दी।