अर्थव्यवस्था

अमेरिका-चीन के बीच दूरी भारत के लिए मौका : अदाणी

Published by
देव चटर्जी
Last Updated- January 20, 2023 | 10:27 PM IST

अरबपति गौतम अदाणी ने दावोस में कहा कि व्यापार दिग्गजों अमेरिका और चीन के बीच बढ़ती खटास भारत के लिए वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की राह में एक बड़ी ताकत बनने का सुनहरा अवसर है।

अदाणी समूह के चेयरमैन ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा कि भू-आर्थिक विखंडन और आर्थिक नीतियों को हथियार बनाए जाने की वजह से दुनिया ‘ग्रेट फ्रैक्चर’ (संयुक्त राष्ट्र महासचिव द्वारा दिया गया शब्द) से जूझ रही है। चीन और अमेरिका के बीच तनाव के अप्रत्यक्ष तौर पर वैश्विक परिणाम सामने आए हैं और इसका आर्थिक वैश्वीकरण पर नकारात्मक असर पड़ा है।

अदाणी ने कहा कि किसी ने भी यह नहीं सोचा होगा कि दुनिया में इतने कम समय में इस तरह का बड़ा बदलाव आएगा और विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) ‘ग्लोबलाइजेशन 4.0’ पर बातचीत के बजाय दावोस 2023 में ‘एक अलग थलग दुनिया में सहयोग’ पर चर्चा करेगा।

अदाणी ने कहा कि इस साल का डब्ल्यूईएफ सम्मेलन उनका व्यस्ततम कार्यक्रम था, क्योंकि उन्होंने एक दर्जन से ज्यादा राज्यों के प्रमुखों और कई व्यावसायिक दिग्गजों से मुलाकात की।

भारत में वर्ष 2030 तक 100 अरब डॉलर का बड़ा निवेश करने की योजना बनाने वाले अदाणी गौतम ने कहा, ‘वैश्विक साझेदारियां अब निष्ठा-आधारित होने के बजाय मुद्दा-आधारित हो गई हैं।  हरेक देश अपनी स्वयं की आत्मनिर्भता तलाश रहा है, जिसे हम भारतीय ‘आत्मनिर्भरता’ कहते हैं।’

उन्होंने कहा, ‘जहां तापमान परिवर्तन और वैश्विक समुदाय के लिए जोखिम दूर करना शीर्ष प्राथमिकता है, वहीं यह स्पष्ट है कि तापमान परिवर्तन संबंधित निवेश ऊर्जा सुरक्षा एजेंडे पर केंद्रित होगा। ’

यूएस इन्फ्लेशन रिडक्शन ऐक्ट ने यूरोप को प्रौद्योगिकी, पूंजी और दक्षता के बाहरी पलायन रोकने के लिए अपना स्वयं का ग्रीन पैकेज तैयार करने के लिए प्रोत्साहित किया है।

उन्होंने कहा, ‘मेरी चर्चाओं ने यह स्पष्ट किया है कि यूरोप की प्रतिक्रियावादी नीति उसकी स्वयं की ऊर्जा सुरक्षा की चिंता से ज्यादा प्रेरित है। कई मायनों में, अमेरिका और यूरोप के बीच मतभेद ज्यादा स्पष्ट नहीं हो सके हैं, क्योंकि दोनों ने अपने स्वयं के राष्ट्रीय एजेंडों पर जोर दिया।’

First Published : January 20, 2023 | 10:27 PM IST