केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज कपड़ा क्षेत्र के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को मंजूरी दे दी। इसके लिए 10,683 करोड़ रुपये बजट का आवंटन किया गया है। इस योजना का मकसद मानव निर्मित फाइबर (एमएमएफ), गारमेंट, और टेक्निकल टेक्सटाइल के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना है।
इन उत्पादों के विनिर्माण पर 5 साल में 10,683 करोड़ रुपये प्रोत्साहन मुहैया कराया जाएगा। इस योजना का ध्यान एमएमएफ और टेक्निकल टेक्सटाइल क्षेत्र की मूल्य शृंखला के विस्तार पर है। सरकार ने यह योजना ऐसे समय में पेश की है, जब पिछले कुछ वर्र्षों में इन वस्तुओं के वैïिश्वक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी धीरे धीरे कम हुई है।
अनुमान लगाया जा रहा है कि इस योजना से 19,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नया निवेश आकर्षित होगा और कुल कारोबार 3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का बो जाएगा साथ ही इससे इस क्षेत्र में 7.5 लाख से ज्यादा अतिरिक्त नौकरियां मिलेंगी।
टेक्निकल टेक्सटाइल नए दौर का टेक्सटाइल है, जिसका इस्तेमाल पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) किट, एयरबैग, बुलेटप्रूफ वेस्ट्स बनाने में होता है। साथ ही इसका इस्तेमाल उड्डयन, रक्षा और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में भी हो सकता है। विस्कोस, पॉलिस्टर, एक्राइल जैसे एमएमएफ रसायनों से बनाए जाते हैं। फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के मुताबिक भारत के कुल अपैरल निर्यात में पांचवां हिस्सा एमएमएफ परिधान का है।
कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने कहा- अब तक हम लोगों का ध्यान प्राथमिक रूप से कॉटन टेक्सटाइल पर रहा है। आज अंतरराष्ट्रीय व्यापार बाजार के दो तिहाई हिस्से पर मानव निर्मित टेक्सटाइल और टेक्निकल टेक्सटाइल का कब्जा है। ऐसी स्थिति में भारत को भी फैब्रिक्स, गार्मेंट्स सहित सभी चीजों में अपना योगदान देने की जरूरत है। इसी के लिे पीएलआई योजना को मंजूरी दी गई है। यह घरेलू कंपनियों को वैश्विक चैंपियन बनाएगा।
मंत्री ने कहा कि छोटे और मझोले शहरों के नजदीक स्थित कंपनियों को ज्यादा प्राथमिकता दी जाएगी और इस पर भी जोर होगा कि कितने रोजगार का सृजन होता है। इस योजना पर गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब, तेलंगाना, ओडिशा के साथ अन्य राज्यों पर सकारात्मक असर पड़ेगा। इस मामले से जुड़े विशेषज्ञों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि रिलायंस, वेल्सपन ग्लोबल ब्रांड्स, अरविंद, ट्राइडेंट, शाही एक्सपोट्र्स, वर्धन टेक्सटाइल्स, पैरामाउंट गारमेंट्स, बॉम्बे डाइंग सहित अन्य कंपनियों ने इस योजना में भाग लेने को लेकर रुचि दिखाई है।
कपड़ा मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव विजय कुमार सिंह ने कहा- अब तक भारतीय कंपनियां एमएमएफ के मामले में प्रतिस्पर्धी नहीं थीं। इस योजना के साथ भारत मानव निर्मित फाइबर के क्षेत्र का प्रमुख केंद्र बन जाएगा, जैसा कॉटन गारमेंट के मामले में रहा है।
अपैरल एक्सपोट्र्स प्रमोशन काउंसिल (एईपीसी) के चेयरमैन और फियो के अध्यक्ष ए शक्तिवेल ने कहा कि वैश्विक एमएमएफ बाजार करीब 200 अरब डॉलर का है और भारत को अगले 5 साल में इसमें 10 प्रतिशत हिस्सेदारी का लक्ष्य रखना चाहिए।