ऐसी खबर है कि 15वें वित्त आयोग ने वित्त वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक केंद्र के सकल कर संग्रह कोष से राज्यों को 41 प्रतिशत हिस्सा देने की सिफारिश की है। सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी है। आयोग ने वर्ष 2020-21 के लिए अपनी अंतरिम रिपोर्ट में भी इतनी ही मात्रा में कर विभाजन की सिफारिश की थी। इससे पहले 14वें वित्त आयोग ने सकल कर संग्रह में 42 प्रतिशत हिस्सा राज्यों को देने की सिफारिश की थी। हालांकि पिछले वित्त आयोग ने जितनी सिफारिश की थी, उससे यह आवंटन 10 प्रतिशत अंक अधिक था। 15वें वित्त आयोग ने जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख को हुए नुकसान की भरपाई के लिए 41 प्रतिशत कर राशि देने की सिफारिश की है।
एन के सिंह की अध्यक्षता वाले 15वें वित्त आयोग ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सोमवार को रिपोर्ट सौंप दी। 14वें वित्त आयोग ने वर्ष 2015-16 से 2019-20 के लिए राज्यों को केंद्रीय कर संग्रह कोष से 42 प्रतिशत रकम हस्तांरित करने की सिफारिश की थी। अगर उपकर एवं अधिभार हटा दें तो काफी कम रकम राज्यों को मिली है। उपकर एवं अधिभार केंद्र के सकल कर संग्रह का हिस्सा नहीं होते हैं। हाल के वर्षों में अतिरिक्त वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए केंद्र सरकार इन दोनों साधनों का इस्तेमाल कर रही है।
उदाहरण के लिए केंद्र को वर्ष 2019-20 में 21.6 लाख करोड़ रुपये प्राप्त होने की उम्मीद थी, लेकिन इनमें राज्यों की हिस्सेदारी मात्र 6.6 लाख करोड़ रुपये अनुमानित थी, जो कुल कर संग्रह का महज 30.5 प्रतिशत था। कोविड-19 महामारी की वजह से 2019-20 के लिए बजट अनुमान बहुत सुखद नहीं हैं। उसमें भी केंद्र के कर संग्रह से राज्यों को महज 32.2 प्रतिशत ही राज्यों को अंतरित करने का अनुमान था। इस लिहाज से इसमें और अधिक कमी आ सकती है क्योंकि केंद्र ने मई में उपकर और विशेष अतिरिक्त शुल्क के रूप में पेट्रोल एवं डीजल पर कर बढ़ा दिए थे। इस कदम से केंद्र के खजाने में अतिरिक्त 1 से 1.5 लाख करोड़ रुपये आ सकते हैं।
देश के दक्षिणी राज्यों ने ऐसी आशंका जताई थी कि उनके हिस्से की रकम में कमी की जा सकती है। इन राज्यों का मानना था कि चूंकि, तय शर्तों में सिफारिश करते समय 2011 के जनगणना आंकड़ों पर विचार करने की बात शामिल थी, इसलिए उनका हिस्सा कम रह सकता है। दक्षिणी राज्यों ने देश के दूसरे हिस्सों के मुकाबले जनसंख्या नियंत्रण पर अधिक सफलता पाई है। ऐसे में आबादी को आधार बनाकर राज्यों को कर बंटवारे में अधिक तवज्जो दी जाती है तो देश के दक्षिणी राज्यों को नुकसान हो सकता है।
सूत्रों ने कहा कि आयोग ने आबादी को केवल 15 प्रतिशत भारांश दिया है, वहीं जनसंख्या नियंत्रण करने वाले राज्यों को अनावश्य नुकसान से बचाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के प्रदर्शन को भी ध्यान में रखा गया।
