वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की आगामी बैठक 7 महीने से ज्यादा के अंतर के बाद होने जा रही है। यह बैठक हंगामेदार रहने की उम्मीद है, क्योंकि राज्य संरक्षित राजस्व को जून 2022 के आगे 5 साल तक बढ़ाए जाने की मांग करेंगे। इसके अलावा राज्य कोविड-19 संबंधी दवाओं की आपूर्ति पर जीएसटी दरों में कटौती की भी संभावना तलाशेंगे। बहरहाल केंद्र व्यवहार्यता के आधार पर दोनों मांगों के खिलाफ नजर आ रहा है।
परिषद जुलाई 2017 से जीएसटीआर 3बी रिटर्न देर से दाखिल करने पर विलंब शुल्क कम करने के मसले पर भी विचार कर सकती है, जिसे लंबित रिटर्न फाइल साफ करने के लिए माफी योजना के रूप में देखा जा सकता है। एजेंडे के अन्य विषयों में 5 करोड़ रुपये से कम कारोबार पर करदाता द्वारा तिमाही फाइलिंग और मासिक भुगतान की जगह तिमाही रिटर्न और तिमाही भुगतान करना है। सिक्किम में दवा और बिजली क्षेत्र पर कोविड उपकर पर लगाए जाने पर भी चर्चा होगी। शुक्रवार को होने जा रही परिषद की 43वीं बैठक की अध्यक्षता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण करेंगी।
राज्यों को जीएसटी नेटवर्क के लिए मानव संसाधन मुहैया कराने को भी कहा गया है, जिससे आईटी की इस रीढ़ का कामकाज सुचारु रूप से चल सके।
परिषद व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के आयात पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगाए जाने के मसले पर भी विचार कर सकती है जिसे दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले शुक्रवार को असंवैधानिक करार दिया था।
जीएसटी परिषद में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व करने वाले राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि वह जून 2022 के आगे और 5 साल के लिए जीएसटी मुआवजे की अवधि बढ़ाए जाने का मसला उठाएंगे। उन्होंने कहा कि कोविड-19 की दवाओं जीएसटी से छूट का भी मसला उठाया जाएगा। देव ने कहा, ‘राज्यों के लिए अनुमानित आय का विस्तार अगले 5 साल के लिए किया जाना चाहिए। जब जीएसटी परिषद का गठन हुआ था, तब यह कल्पना की गई थी कि राज्य 5 साल में आत्मनिर्भर हो जाएंगे और उन्हें मुआवजे की जरूरत नहीं होगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो पाया। अर्थव्यवस्था मंद है।’ उन्होंने कहा कि उत्पादक राज्यों की आमदनी में उल्लेखनीय कमी आई है।
केंद्र सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि जीएसटी मुआवजे की अवधि बढ़ाया जाना संभवत: व्यावहारिक नहीं होगा क्योंकि पिछले साल के उपकर में कमी की भरपाई के लिए पहले ही बाजार उधारी ली जा चुकी है। अधिकारी ने कहा, ‘इसके अलावा राजस्व में 14 प्रतिशत सालाना वृद्धि दर वास्तविक नहीं है, यह बहुत ज्यादा है।’
मुआवजा उपकर की तिथि बढ़ाए जाने के अलावा कोविड-19 की दूसरी लहर के बाद उपजी स्थिति को देखते हुए मुआवजे की जरूरत पर भी राज्य चर्चा करेंगे। पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने हाल ही में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) मुआवजा उपकर में भारी कमी का मसला उठाया था। पश्चिम बंगाल सरकार के एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘मुआवजा उपकर को 5 साल बढ़ाया जाना चाहएि क्योंकि राज्य पहले से ही वित्तीय संकट से गुजर रहे हैं।’
अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि 2021-22 में उपकर में कमी 1.5 से 2 लाख करोड़ रुपये के बीच रहेगी, जो इसके पहले साल 2.35 लाख करोड़ रुपये थी। राज्यों को आश्वासन दिया गया था कि उनका सालाना राजस्व 5 साल तक (2022 तक) 14 प्रतिशत बढ़ेगा और अगर राजस्व में कोई कमी आती है तो मुआवजा उपकर के माध्यम से कर संग्रह में कमी की भरपाई की जोगी। यह कर लग्जरी सामान और हानिकारक उत्पादों जैसे शराब, सिगरेट एरेटेड पेय, ऑटोमोबाइल, कोयला और तंबाकू पर लगाकर जुटाया जाएगा।
पश्चिम बंगाल सहित कुछ राज्यों ने केंद्र को पत्र लिखकर कोविड-19 टीके, रेमडेसिविर इंजेक्शन, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स, वेंटिलेटरों, कोविड-19 की दवाओं, ऑक्सीमीटर आदि पर जीएसटी में छूट दिए जाने की मांग की है। बहरहाल केंद्र सरकार जीएसटी में छूट देने या इन उत्पादों की दरों में बदलाव करने को इच्छुक नहीं है, क्योंकि इससे आपूर्ति शृंखला प्रभावित हो सकती है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘जीएसटी से टीके को मुक्त करने से किसी को मदद नहीं मिलेगी। आधे से ज्यादा टीके केंद्र व राज्यों द्वारा खरीदे जाएंगे और राज्यों को 70 प्रतिशत जीएसटी (विभाजन से मिले 42 प्रतिशत सहित) मिलेगा। लेकिन अगर राज्य परिषद में इस विषय पर चर्चा चाहते हैं तो कोविड-19 संबंधी आपूर्तियों पर जीएसटी दरों पर सामूहिक फैसले लेने दिया जाए।’
दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को दिए अपने फैसले में व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए आयातित ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स पर जीएसटी लगाए जाने को असंवैधानिक करार दिया और कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान ऑक्सीजन कंसंट्रेटर जीवन रक्षक उपकरण है।
पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल परिषद के उपाध्यक्ष की नियुक्ति और विवाद निपटान व्यवस्था का मसला भी उठा सकते हैं। उम्मीद है कि वह एमएसएमई, उड्डयन, होटल, रेस्टोरेंट, मनोरंजन, वाणिज्यिक रियल्टी और खउदरा क्षेत्र को कोविड-19 के कारण राहत दिए जाने की मांग कर सकते हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र में बादल ने अधिकारियों द्वारा करदाताओं के उत्पीडऩ का मसला उठाया था।
ध्रुव एसोसिएट्स एलएलपी के पार्टनर नीरज बागड़ी ने कहा कि कई तिमाहियों से कोविड-19 राहत सामग्रियों पर कर छूट की मांग की जा रही है, चाहे व व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए खरीदा गया हो या वाणिज्यिक चैनलों के लिए।