एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स (S&P Global Ratings) को भारत की आर्थिक तस्वीर से ज्यादा उम्मीद हो गई है, इसलिए आज उसने भारत के लिए अपना नजरिया स्थिर यानी स्टेबल से बदलकर पॉजिटिव कर दिया। उसे लग रहा है कि देश में चल रहे लोक सभा चुनावों के नतीजे कुछ भी हों, यहां आर्थिक सुधार और राजकोषीय नीतियां बदस्तूर चलती रहेंगी। इसी उम्मीद में एजेंसी ने भारत के लिए सबसे निचले निवेश ग्रेड की रेटिंग बरकरार रखी है।
एसऐंडपी ने भारत की दीर्घकालिक सॉवरिन रेटिंग बीबीबी- और अल्पकालिक रेटिंग ए-3 ही रखी है। उसने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि का इसकी साख पर अच्छा असर हो रहा है। हमें उम्मीद है कि मजबूत आर्थिक बुनियादी कारकों के दम पर अगले दो से तीन साल तक वृद्धि की रफ्तार बनी रहेगी।’
मगर एजेंसी ने कहा है कि अगर सार्वजनिक वित्त को टिकाऊ बनाए रखने का राजनीतिक संकल्प डगमगाया तो वह अपना नजरिया वापस स्टेबल पर ले आएगी। उसका कहना है कि राजनीतिक संकल्प घटा तो देश की संस्थागत क्षमताएं भी कमजोर हो जाएंगी।
एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा, ‘पॉजिटिव नजरिया देने की वजह हमारा यह मानना है कि नीतियों में स्थिरता बनी रहने, आर्थिक सुधारों की पैठ गहरी होने और संस्थागत निवेश ऊंचा रहने से वृद्धि की दीर्घकालिक संभावनाएं बनी रहेंगी।’
उसने कहा कि सतर्कता भरी राजकोषीय और मौद्रिक नीति से सरकार पर कर्ज और ब्याज का भारी-भरकम बोझ कम हो जाता है और आर्थिक मजबूती भी आती है। ऐसा ही रहा तो अगले 24 घंटों में भारत की रेटिंग भी बढ़ सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति लगातार ज्यादा कारगर होती गई और उसमें भरोसा बढ़ता गया तो एसऐंडपी रेटिंग बढ़ा सकती है। इसके लिए मुद्रास्फीति को काफी समय तक नीचे ही रखने जैसे कदम उठाने होंगे।
रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि पिछले तीन साल में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की औसत वास्तवकि वृद्धि दर 8.1 फीसदी सालाना रही है। उसे लगता है कि अगले तीन साल में यह सालाना 7 फीसदी के करीब दर से बढ़ेगा।
एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा, ‘हमारा अनुमान है कि भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर इस साल 6.8 फीसदी रहेगी, जो दुनिया भर में दिख रही मंदी के बीच दूसरे उभरते बाजारों वाले देशों की वृद्धि दर से बेहतर होगी।’
एजेंसी ने कहा कि भारत के खजाने की कमजोर स्थिति हमेशा उसकी सॉवरिन रेटिंग का सबसे कमजोर पहलू रही है मगर अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने के बाद अब सरकार खजाने को मजबूत करने के लिए ज्यादा ठोस और चरणबद्ध उपाय कर पा रही है। एजेंसी मानती है कि चालू वित्त वर्ष में सरकार का घाटा जीडीपी के 7.9 फीसदी के बराबर रहेगा और धीरे-धीरे घटते हुए वित्त वर्ष 2028 तक 6.8 फीसदी रह जाएगा।
सरकार वित्त वर्ष 2023-24 के लिए राजकोषीय घाटे और जीडीपी के आंकड़े 31 मई को जारी करेगी। सरकार ने राजकोषीय घाटे को वित्त वर्ष 2025-26 तक घटाकर 4.5 फीसदी पर लाने का लक्ष्य रखा है। चालू वित्त वर्ष में इसे जीडीपी के 5.1 फीसदी पर रोकने का उसका लक्ष्य है।