मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) रजिस्ट्रेशन प्रोसेस को पूरी तरह डिजिटल बनाने पर तेजी से काम कर रहा है। सेबी चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने बुधवार को कहा कि डिजिटल सिग्नेचर का उपयोग करके इस पूरी प्रक्रिया को पेपरलेस बनाया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि हमारा लक्ष्य रजिस्ट्रेशन की टाइमलाइन को महीनों से घटाकर सिर्फ कुछ दिनों तक सीमित करना है। साथ ही डेटा प्राइवेसी से जुड़े सभी मुद्दों का पूरा ध्यान रखा जाए। सर्विस क्वालिटी बढ़ाने के लिए सेबी एफपीआई रजिस्ट्रेशन के लिए एक दूसरा प्लेटफॉर्म भी शुरू कर रहा है, जिसे सीडीएसएल (CDSL) द्वारा डेवलप किया जा रहा है।
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यह पहल ऐसे समय में आ रही है जब घरेलू निवेश बढ़ने के बावजूद विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। गोल्डमैन सैक्स के 14वें इंडिया CIO कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए पांडेय ने कहा कि विदेशी निवेशक भारत के कैपिटल मार्केट के केंद्र में बने हुए हैं। 1992 में भारत द्वारा एफपीआई निवेश की अनुमति दिए जाने के बाद से पोर्टफोलियो फ्लो ने 9.3% का XIRR (Extended Internal Rate of Return) दिया है।
सितंबर 2025 तक एफपीआई के एसेट अंडर मैनेजमेंट 876 अरब डॉलर तक पहुंच चुकी हैं और वे लिस्टेड कंपनियों में लगभग 17% हिस्सेदारी रखते हैं। XIRR किसी निवेश पर एनुअल रिटर्न रेट को दर्शाता है।
पांडेय ने कहा कि सेबी बाजार तक पहुंच को और आसान बनाने के तरीकों पर विचार कर रहा है। प्रस्तावित फ्रेमवर्क के तहत SWAGAT-FIs (Single Window Automatic & Generalised Access for Trusted Foreign Investors) को जल्द ही FEMA के तहत निर्धारित अन्य निवेश मार्गों के माध्यम से निवेश करने की अनुमति मिल सकती है, वह भी बिना किसी अतिरिक्त मंजूरी के।
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सेबी चीफ ने कहा कि नियामक यह भी जांच कर रहा है कि क्या एफपीआई के लिए एक ही दिन किए गए सौदों के निपटान (settlement) में नेटिंग की अनुमति दी जा सकती है। यह बदलाव एफपीआई की लागतें घटा सकता है, क्योंकि वर्तमान नियमों के तहत उन्हें हर ट्रेड के लिए अलग-अलग डिलीवरी देनी और लेनी पड़ती है।
उन्होंने यह भी कहा कि सेबी इस सुधार को आगे बढ़ाने के लिए आरबीआई और वित्त मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रहा है।
(PTI इनपुट के साथ)