सरकार देश में सामाजिक सुरक्षा कवरेज की सीमा का आकलन करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक सुरक्षा डेटा पूलिंग का काम कर रही है। इससे अमेरिका के साथ सामाजिक सुरक्षा समझौते (टोटलाइजेशन समझौते) को अंतिम रूप देने में मदद मिलेगी।
एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने पहले चरण में करीब 10 प्रमुख राज्यों डेटा साझा करने के लिए लिखा है। राज्यों को कहा गया है कि उनके द्वारा प्रदान की जा रही विभिन्न सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों के आंकड़े उपलब्ध कराए जाएं।
अधिकारी ने कहा, ‘डेटा पूलिंग के इस काम से न केवल सामाजिक सुरक्षा में अग्रणी के तौर पर भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा बढ़ेगी, बल्कि केंद्र और राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को कल्याणकारी मद में अपने खर्च को अनुकूलित करने और सामाजिक सुरक्षा के स्थायी वित्तपोषण की दिशा में आगे बढ़ने में भी मदद मिलेगी। इससे व्यापार एवं सामाजिक सुरक्षा समझौतों पर बातचीत करने में भी भारत की स्थिति बेहतर होगी। इससे वैश्विक मूल्य श्रृंखला में बेहतरीन कार्यों को बढ़ावा देने संबंधी भारत की प्रतिबद्धता का भी पता चलता है।’
भारत लंबे समय से अमेरिकी अधिकारियों को इसी तरह के एक समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए मनाने की कोशिश कर रहा है। इससे अमेरिका में काम करने के दौरान भारतीयों द्वारा किए गए अंशदान को वापस लाने में मदद मिलेगी, भले ही उन्हें उस देश में मिल रहे सामाजिक सुरक्षा लाभों का फायदा उठाने की अनुमति न हो। उम्मीद की जा रही है कि भारत अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर जारी बातचीत में इस मुद्दे को भी उठा सकता है।
पिछले साल जनवरी में भारत-अमेरिका व्यापार नीति फोरम की बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में दोनों पक्षों ने कहा था, ‘मंत्रियों ने सामाजिक सुरक्षा टोटलाइजेशन समझौते पर चर्चा जारी रखने और भारत से अमेरिका को अतिरिक्त जानकारी मिलने की बात स्वीकार की। उन्होंने भविष्य के समझौते के लिए एक मजबूत आधार तैयार करने के लिहाज से आगे तालमेल जारी रखने को भी प्रोत्साहित किया।’
जून में जिनेवा में हो रहे अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के 113वें वार्षिक सत्र से पहले डेटा पूलिंग का काम किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने जिन राज्यों को डेटा साझा करने के लिए कहा है उनमें उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और गुजरात शामिल हैं।
आईएलओ ने सामाजिक सुरक्षा पर अपनी हालिया रिपोर्ट डब्ल्यूएसपीआर 2024-26 में कहा है कि भारत ने सामाजिक सुरक्षा कवरेज का दायरा बढ़ाने में उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कम से कम किसी एक सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत कवर की गई भारत की आबादी का अनुपात 2021 में 24.4 फीसदी थी जो बढ़कर 2024 में 49 फीसदी हो गया। भारत का मानना है कि उसके सामाजिक सुरक्षा कवरेज का आईएलओ द्वारा किया गया आकलन अभी भी कम है क्योंकि उसमें राज्यों द्वारा वस्तुओं के रूप में प्रदान किए जाने वाले लाभ और सामाजिक सुरक्षा को शामिल नहीं किया गया है।