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आर्थिक वृद्धि में नरमी अस्थायी, आगे दिखेगी तेजी: वित्त मंत्री

सरकार पूंजीगत व्यय से बढ़ा रही है अर्थव्यवस्था की रफ्तार, अनुदान की पूरक मांग लोकसभा में पारित

Last Updated- December 17, 2024 | 10:42 PM IST
Nirmala Sitharaman

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज लोक सभा में कहा कि कि दूसरी तिमाही में वृद्धि का जो रुझान दिखा वह अस्थायी झटका था। उन्होंने कहा कि अगली तिमाहियों में बेहतर आर्थिक वृद्धि दिखेगी। उन्होंने चालू वित्त वर्ष के लिए अनुदान की पूरक मांग पर जवाब देते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि सरकार पूंजीगत व्यय के जरिये वृद्धि को रफ्तार दे रही है ताकि पूरी अर्थव्यवस्था पर उसका दमदार प्रभाव दिखे।

चर्चा के बाद लोक सभा ने 44,123 करोड़ रुपये के शुद्ध नकद परिव्यय को शामिल करते हुए करीब 87,762 करोड़ रुपये के सकल अतिरिक्त व्यय के लिए अनुदान की पूरक मांग संबंधी सरकार के प्रस्ताव को पारित कर दिया।

वित्त मंत्री ने कहा, ‘दूसरी तिमाही न केवल भारत बल्कि दुनिया की अन्य तमाम अर्थव्यवस्थाओं के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रही। पिछले तीन वर्षों के दौरान भारत की जीडीपी वृद्धि औसतन 8.3 फीसदी रही है। यह वैश्विक मानकों के लिहाज से दमदार आंकड़ा है।’ वित्त वर्ष 2024-25 की जून तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.7 फीसदी और सितंबर तिमाही में 5.4 फीसदी रही है।

वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार खाद्य मुद्रास्फीति को बेहतर तरीके से नियंत्रित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि इसके लिए अनाज, दलहन आदि प्रमुख खाद्य वस्तुओं का बफर स्टॉक तैयार करने और प्याज, चावल, तुअर दाल, गेहूं, आटा आदि खाद्य पदार्थों के बेहतर वितरण के लिए उपाय किए जा रहे हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले 25 वर्षों के दौरान राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के मुकाबले मुद्रास्फीति को बेहतर तरीके से नियंत्रित किया है। उन्होंने कहा कि संप्रग के दूसरे कार्यकाल में समग्र मुद्रास्फीति 10.2 फीसदी तक पहुंच गई थी।

वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि पहली पूरक मांग की रकम पिछले साल के मुकाबले काफी कम है। इससे बजट अनुमान में सटीकता का पता चलता है। सीतारमण ने जोर देकर कहा कि राज्यों को दी जाने वाली पूंजीगत सहायता के साथ प्रभावी पूंजीगत व्यय 15.2 लाख करोड़ रुपये आंका गया है।

उन्होंने कहा, ‘अगर हम खपत को तत्काल बढ़ाने के लिए लोगों के हाथों में रकम दे देते हैं अथवा केवल उसी के लिए खर्च करते हैं तो इसका कोई फायदा नहीं होने वाला है। पूरी अर्थव्यवस्था पर इसका बेहतर प्रभाव तभी दिखेगा जब लोगों को संस्थान उपलब्ध कराने, रोजगार देने और पूंजीगत परिसंपत्ति तैयार करने के लिए खर्च किए जाएंगे।’

एमएसएमई को सहायता के बारे में वित्त मंत्री ने लोक सभा को बताया कि सरकार ऐसी कंपनियों को कारोबार करने के लिए सॉवरिन गारंटी के साथ सावधि ऋण दे रही है। वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि 15वें वित्त आयोग के पहले 45 महीनों के दौरान केरल, कर्नाटक एवं हिमाचल प्रदेश सहित तमाम राज्यों को किया गया कर हस्तांतरण 14वें वित्त आयोग की पूरी अवधि के मुकाबले अधिक रहा है।

First Published - December 17, 2024 | 10:42 PM IST

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