अर्थव्यवस्था

भारत के सेवा निर्यात की सुस्त पड़ी रफ्तार, आयात में भी आई गिरावट; अर्थशास्त्रियों ने बताई वजह

Service export: सेवाओं के व्यापार में बढ़िया अधिशेष के कारण वित्त वर्ष 2024 में चालू खाते का घाटा कम होकर जीडीपी का करीब 1 फीसदी रह सकता है।

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असित रंजन मिश्र   
Last Updated- May 03, 2024 | 11:07 PM IST

लगातार दो साल तक दो अंकों में बढ़ने के बाद पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत के सेवा निर्यात की रफ्तार सुस्त पड़ गई और तीन साल में सबसे कम रही। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2024 में भारत का सेवा निर्यात 4.9 फीसदी की मामूली वृद्धि के साथ 341.1 अरब डॉलर रहा। हालांकि सेवाओं के शुद्ध निर्यात की बात करें तो 31 मार्च, 2024 को समाप्त वित्त वर्ष के दौरान वह 13.6 फीसदी की दमदार वृद्धि के साथ 162.8 अरब डॉलर हो गया। इस दौरान सेवाओं का आयात 2 फीसदी घटकर 178.3 अरब डॉलर रह गया। इससे शुद्ध निर्यात बढ़ गया।

बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि सेवाओं के निर्यात में कमजोर वृद्धि की मुख्य वजह पिछले वर्षों में आंकड़ा ज्यादा रहना और विकसित अर्थव्यवस्थाओं से मांग नरम रहना हो सकती है। उन्होंने कहा, ‘वित्त वर्ष 2025 में भी हालत ऐसी ही रहेगी क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था और विशेष तौर पर अमेरिका एवं यूरोप में उच्च ब्याज दरों के कारण मांग में नरमी रहेगी।’

वाणिज्य मंत्रालय द्वारा पिछले महीने जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2024 में वस्तुओं का निर्यात 3.2 फीसदी घटकर 437.1 अरब डॉलर रह गया, जिससे व्यापार घाटा बढ़कर 240.2 अरब डॉलर हो गया। लेकिन सेवाओं के व्यापार में बढ़िया अधिशेष के कारण वित्त वर्ष 2024 में चालू खाते का घाटा कम होकर जीडीपी का करीब 1 फीसदी रह सकता है। वृहद आ​र्थिक संकेतकों पर पूर्वानुमान जारी करने वाले पेशेवरों के हालिया सर्वेक्षण में रिजर्व बैंक ने बताया कि इस वित्त वर्ष में चालू खाते का घाटा जीडीपी का 1.2 फीसदी और और 2025-26 में 1.1 फीसदी रह सकता है।

आईडीएफसी फर्स्ट बैंक की अर्थशास्त्री गौरा सेनगुप्ता ने कहा कि सेवा निर्यात में सुस्त वृद्धि की भरपाई सेवाओं के आयात में गिरावट से हो गई। उन्होंने कहा, ‘भुगतान संतुलन के विवरण से संकेत मिलता है कि परिवहन सेवाओं में गिरावट और सॉफ्टवेयर सेवाओं एवं पेशेवर सेवाओं में नरमी ही सेवाओं के निर्यात में मंदी की प्रमुख कारण रहीं। परिवहन सेवाओं में संकुचन के कारण सेवाओं के आयात में गिरावट आई।’

उन्होंने कहा कि पेशेवर सेवाओं के निर्यात को सहारा देने वाले ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (जीसीसी) बढ़ने से वित्त वर्ष 2025 में सेवा अ​धिशेष अधिक रहने के आसार हैं। जीसीसी भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा स्थापित विशेष केंद्र हैं, जिनका मकसद स्थानीय प्रतिभा का फायदा उठाना, अधिक से अधिक परिचालन दक्षता हासिल करना और नए बाजारों तक पहुंचना है। ये केंद्र सूचना प्रौद्योगिकी, अनुसंधान एवं विकास (आरऐंडडी), वित्त, मानव संसाधन, ग्राहक सेवा, विश्लेषण और कारोबारी प्रक्रियाओं के संचालन सहित तमाम क्षेत्रों में कार्य करते हैं।

गोल्डमैन सैक्स ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा कि भारत में जीसीसी की आय पिछले 13 वर्षों में 11.4 फीसदी की चक्रवृद्धि वार्षिक दर (सीएजीआर) से बढ़ी और चार गुना होती हुई वित्त वर्ष 2023 में 46 अरब डॉलर तक पहुंच गई। भारत से सेवाओं के निर्यात में सॉफ्टवेयर निर्यात का दबदबा है। मगर जीसीसी द्वारा सेवाओं के निर्यात सहित अन्य कारोबारी सेवाओं के निर्यात में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है। यह वित्त वर्ष 2024 की दिसंबर तिमाही में कुल सेवा निर्यात का 25.4 फीसदी रहा। इस दौरान कुल सेवा निर्यात में सॉफ्टवेयर निर्यात की हिस्सेदारी 48.1 फीसदी से घटकर 46.2 फीसदी रह गई।

First Published : May 3, 2024 | 10:48 PM IST