चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार हुआ और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में संकुचन पहली तिमाही के करीब 24 फीसदी की तुलना में सुधरकर 7.5 फीसदी रह गया।
हालांकि दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में देश में कोविड के मामले तेजी से बढ़े लेकिन लॉकडाउन में ढील से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने से जीडीपी में तेज गिरावट को थामने में मदद मिली। कोरोना संकट की वजह से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी में 15.7 फीसदी संकुचन आया है।
आज जारी आंकड़ों में मिला-जुला रुख देखने को मिला। विनिर्माण क्षेत्र के मूल्य वद्र्घन में व्यापक सुधार हुआ है जबकि वॉल्यूम में गिरावट आई है और निवेश भी उम्मीद से बेहतर रहा है। लेकिन दूसरी तिमाही में सरकार के खर्च में कमी आई है, वहीं उपभोक्ताओं के खर्च में नरमी बनी हुई है। हालांकि आंकड़े अनुमान से बेहतर रहे हैं। विभिन्न विश्लेषकों और संस्थाओं ने जीडीपी में 7.8 फीसदी से 12.7 फीसदी के दायरे में गिरावट का अनुमान लगाया था।
विशेषज्ञों ने कहा कि सरकार के व्यय में 22 फीसदी की कमी कमजोर वित्तीय प्रोत्साहन को दर्शाती है। सरकार को तीसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन बढ़ाने होंगे।
लगातार दो तिमाही में गिरावट आने से अर्थव्यवस्था आधिकारिक रूप से तकनीकी मंदी के दायरे में आ गई है, जैसा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने नवंबर में कहा था। हालांकि जीडीपी में सुधार मौद्रिक नीति समिति (-9.8 फीसदी) और आरबीआई के अनुमान (-8.6 फीसदी) से बेहतर रही है।
अर्थव्यवस्था में निवेश सकल स्थिर पूंजी निर्माण से परिलक्षित होता है लेकिन इसमें गिरावट का रुख बना हुआ है। हालांकि पहली तिमाही में इसमें 47 फीसदी की गिरावट आई थी जो दूसरी तिमाही में 7.3 फीसदी रह गई।
दबी हुई मांग और त्योहारी बिक्री से उपभोक्ताओं का मनोबल बढ़ा है लेकिन अंतिम उपभोग व्यय पिछले साल की सामन अवधि की तुलना में 11.3 फीसदी घटा है।
गिरावट की खाई से उबरने में विनिर्माण क्षेत्र में सहारा दिया। पहली तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र में 40 फीसदी की गिरावट आई थी जबकि दूसरी तिमाही में इसमें 0.6 फीसदी की वृद्घि दर्ज की गई। लेकिल सेवा क्षेत्र में गिरावट का रुख रहा। दूसरी तिमाही में सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में 10.8 फीसदी की गिरावट आई।
व्यापार, होटल, परिवहन और संचार क्षेत्र का प्रदर्शन सबसे खराब रहा और इस क्षेत्र की गतिविधियों में 15.6 फीसदी की गिरावट आई। लोक प्रशासन और रक्षा की गतिविधियों में भी 12.2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। रोजगार उन्मुख निर्माण क्षेत्र के मूल्य वद्र्घन में 8.6 फीसदी की कमी आई। सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने कहा कि दूसरी तिमाही के आंकड़े उत्साहजनक हैं और सुधार ने उम्मीद की किरण दिखाई है।
उन्होंने कहा, ‘आर्थिक सुधार में निरंतरता महामारी के प्रसार पर निर्भर करता है क्योंकि कुछ क्षेत्र अभी भी मांग में नरमी का सामना कर रहे हैं।’ जुलाई-सितंबर के दौरान सरकार का व्यय वास्तविक आधार पर करीब 22 फीसदी घटा है। ईवाई इंडिया में मुख्य नीति सलाहकार डीके श्रीवास्तव ने कहा, ‘सरकार की ओर से कमजोर मांग कम वित्तीय प्रोत्साहन का संकेत है। हालांकि तीसरी तिमाही में वृद्घि जोर पकड़ सकती है और चौथी तिमाही तक यह सकरात्मक दायरे में आ सकती है।’ इंडिया रेटिंग्स में प्रधान अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र में सुधार मामूली है और पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में ऋणात्मक दायरे में रहने की वजह से इसमें सुधार दिख रहा है।’ केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र में सकारात्मक वृद्घि चकित करने वाला है।
