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सेवा गतिविधियों में तेज गिरावट

Last Updated- December 12, 2022 | 3:00 AM IST

कोरोनावायरस की दूसरी लहर और उसकी रोकथाम के लिए लगाए गए प्रतिबंधों के चलते भारत में मांग प्रभावित हुई और फर्मों को तेजी से नौकरियों में छंटनी करनी पड़ी। इससे सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में जून 2021 के दौरान तेज गिरावट हुई। एक निजी मासिक सर्वेक्षण में यह सामने आया है।
एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश भारत में कोविड-19 के कारण 4,00,000 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं और अभी भी प्रतिदिन 40,000 नए मामले सामने आ रहे हैं, जिससे संक्रमण से प्रभावित लोगों की संख्या 3.05 करोड़ हो गई है।
आईएचएस मार्किट का सर्विस पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स पिछले महीने में गिरकर 41.2 पर आ गया, जो पहले ही इसके पहले के मई महीने में 46.4 पर था। यह सेवा गतिविधियों में जुलाई 2020 के बाद से सबसे बड़ी गिरावट है।
पीएमआई की भाषा में 50 से ऊपर अंक का मतलब है कि गतिविधियों में बढ़ोतरी हो रही है, जबकि 50 से कम अंक संकुचन को दर्शाता है।
आईएचएस मार्किट की अर्थशास्त्री और संयुक्त निदेशक पॉलियाना डी लीमा ने बताया कि भारत में कोविड-19 की वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह आशंका जताई जा रही थी कि सेवा क्षेत्र प्रभावित होगा। जून के लिए पीएमआई के आंकड़े नए व्यवसाय, उत्पादन और रोजगार में तेज गिरावट दर्शाते हैं।
उन्होंने कहा, ‘जून महीने के पीएमआई के आंकड़े से पता चलता है कि नए कारोबार में तेज गिरावट आई है और उत्पादन व रोजगार में भी गिरावट हुई है। हालांकि यह पहले लॉकडाउन की तुलना में कम है।’ मांग कम होने की वजह से नए कारोबार के उप सूचकांक में गिरावट आई है और यह जुलाई, 2020 के बाद के निचले स्तर पर है।
परिणामस्वरूप फर्मों ने लगातार सातवें महीने कर्मचारियों की संख्या में कटौती की और जून में इसकी सबसे तेज रफ्तार दर्ज की गई। एक सप्ताह पहले कराए गए रॉयटर्स पोल से पता चला था कि नौकरियों का संकट साल के आने वाले दिनों में और गहरा सकता है। सेवा क्षेत्र में गिरावट कुल मिलाकर कारोबारी गतिविधियों में गिरावट के अनुरूप ही है। आईएचएस के  गुरुवार के सर्वे से पता चला था कि विनिर्माण गतिविधियों में करीब एक साल में पहली बार जून में गिरावट दर्ज की गई है। कच्चे माल के दाम ज्यादा होने और ढुलाई की लागत बढऩे से पिछले महीने एक बार फिर इनपुट के दाम बढ़े, क्योंकि कच्चे माल की कीमत और ढुलाई की लागत बढ़ गई है। इससे संकेत मिलता है कि आने वाले दिनों में महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से तय की गई 2 से 6 प्रतिशत की सीमा से आगे जा सकती है।
मई महीने में भारत में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 6 प्रतिशत से ऊपर पहुंच गई, जो 6 महीने का उच्च स्तर है। भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से इस वित्त वर्ष में मौद्रिक नीति सख्त किए जाने की उम्मीद नहीं है क्योंकि वह आर्थिक वृद्धि को समर्थन करता नजर आ रहा है। विनिर्माण व सेवा गतिविधियों दोनों में ही संकुचन से कुल मिलाकर मई महीने में संयुक्त सूचकांक गिरकर 431 पर आ गया है।

First Published - July 5, 2021 | 11:26 PM IST

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