कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए प्रतिबंधों में ढील, सेवा क्षेत्र की कंपनियों को नए ऑर्डर मिलने से फरवरी के बाद से पहली बार सेवा गतिविधियों में विस्तार हुआ है। आईएचएस मार्किट की रिपोर्ट से यह जानकारी मिलती है।
भारत में सेवाओं के लिए पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स तेजी से बढ़कर सितंबर के 49.8 की तुलना में अक्टूबर में 54.1 पर पहुंच गया। इससे मांग में वृद्धि का पता चलता है। पीएमआई इंडेक्स 50 से ऊपर रहने से विस्तार और 50 से कम रहने से गतिविधियों में सुस्ती के संकेत मिलते हैं।
आंकड़े से पता चलता है कि लॉकडाउन के कारण सेवाओं में शुरू हुई सुस्ती अब पूरी तरह दूर हो चुकी है। निर्माण को छोड़कर अर्थव्यवस्था के सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) में सेवा क्षेत्र की हिस्सेदारी करीब 60 प्रतिशत होती है। इस पुनरुद्धार को अक्टूर दिसंबर तिमाही (वित्त वर्ष 21 की तीसरी तिमाही) में और गति मिल सकती है। नोट में कहा गया है, ‘फैक्टरी उत्पादन में तेज बढ़ोतरी की वजह से सेवा गतिविधियों को बल मिला है।’
आईएचएस मार्किट में इकोनॉमिक्स एसोसिएट डायरेक्टर पॉलियाना डी लीमा ने कहा, ‘विनिर्माण क्षेत्र की बहाली अगस्त में शुरू हो गई थी, सेवा क्षेत्र में अब सुधार शुरू हुआ है। सेवा प्रदाताओं ने अक्टूबर के दौरान नए काम और कारोबारी गतिविधियों में ठोस विस्तार के संकेत दिए हैं।’
लेकिन विनिर्माण क्षेत्र की ही तरह सेवा क्षेत्र में भी रोजगार में फिर कमी आई है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘नौकरियों से छंटनी सितंबर में भी जारी रही।’
निजी क्षेत्र के रोजगार में लगातार आठवें महीने कमी आई है। इसका मतलब यह है कि व्यक्तिगत आमदनी में कमी बनी हुई है और कंपनियों की वित्तीय स्थिति सामान्य होने तक बनी रहेगी।
डी लीमा ने कहा, ‘सेवा प्रदाताओं ने रोजगार में एक और गिरावट पाई है, लेकिन वास्तविक साक्ष्यों से पता चलता है कि श्रमिकों की कमी की वजह से भर्तियों की कवायद प्रभावित हुई है।’ सर्वे में शामिल कंपनियों ने संकेत दिया है कि लॉकडाउन के दौरान जो कामगार काम छोड़कर गए थे, वे कोविड-19 के डर के कारण नहीं लौटे हैं क्योंकि संक्रमण बढ़ा है। इसकी वजह से श्रमिकों की आवक कम है।
सेवा कंपनियोंं की इनपुट लागत तेजी से बढ़ी है और इनपुट महंगाई बढ़कर 8 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई है। ईंधन के खर्च के साथ सामग्रियों व रखरखाव का खर्च तीसरी तिमाही में बढ़ा है।
