कोविड महामारी की वजह से उपजी अनिश्चितता के माहौल में सरकारी कर्मचारियों समेत मोटा वेतन पाने वाले कर्मचारियों ने पेंशन कोष में अपना अंशदान बढ़ा दिया, जबकि असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों का अंशदान कम हो गया। पेंशन फंड नियामक प्राधिकरण (पीएफआरडीए) की तरफ से जारी आंकड़ों से यह तस्वीर सामने आई है। इसके मुताबिक एक सरकारी कर्मचारी का पेंशन फंड में औसत अंशदान 12-13 फीसदी बढ़ा है, जबकि निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के अंशदान में अप्रैल-जुलाई के दौरान 25 फीसदी की वृद्धि देखी गई है।
असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए संचालित अटल पेंशन योजना में इसी अवधि में अंशदान 33 फीसदी तक घट गया है। बाकी खुदरा खाताधारकों का औसत अंशदान कमोबेश अपरिवर्तित रहा है। कुल मिलाकर वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में सभी श्रेणियों का सम्मिलित अंशदान 23 फीसदी बढ़ा है, लेकिन इस अवधि में नए खाताधारकों के जुडऩे की दर 43 फीसदी कम हुई है।
पेंशन अंशदान की यह असमानता बताती है कि कम वेतन वाले और असंगठित क्षेत्र के कामगारों के अंशदान पर काफी बुरा असर पड़ा है। कोविड महामारी केदौर में वेतनभोगी वर्ग या संगठित क्षेत्र के विपरीत यह वर्ग अधिक प्रभावित हुआ है। इससे यह भी पता चलता है कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वास्तविक संकुचन 24 फीसदी से भी अधिक हो सकती है क्योंकि इस अनुमान में केवल संगठित क्षेत्र को ही शामिल किया गया है।
असंगठित क्षेत्र का अंशदान कम रहने की बड़ी लॉकडाउन रही। लॉकडाउन के दौरान बड़ी तादाद में लोगों की नौकरियां चली गईं और कई लोगों की आय पर असर हुआ। पीएफआरडीए ने अंशदान में देरी करने पर लगाए जाने वाले जुर्माने से भी सितंबर तक छूट दी हुई है। इससे 2.2 करोड़ खाताधारकों को राहत मिली है। हालांकि महामारी के दौर में संगठित क्षेत्र के अंशदान में बढ़ोतरी थोड़ी चौंकाती है। अगर सीएमआईई के आंकड़ों को देखें तो इन चार महीनों में ही करीब 1.89 करोड़ वेतनभोगी कर्मचारी बेरोजगार हुए हैं। यह आंकड़ा अनौपचारिक क्षेत्र में गई नौकरियों से भी अधिक है। ऐसे में अंशदान बढऩे का यही मतलब हो सकता है कि कम वेतन वालों ने अंशदान भले ही कम किया है, लेकिन अधिक वेतन पाने वाले कर्मचारियों ने अपना अंशदान काफी बढ़ा दिया है।
पीएफआरडीए के चेयरमैन सुप्रतिम बंद्योपाध्याय ने कहा कि नैशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) में ब्याज का तेजी से बढऩा इसकी बड़ी वजह है। औपचारिक क्षेत्र में सरकारी कर्मचारियों की हिस्सेदारी निजी क्षेत्र के कर्मचारियों एवं व्यक्तियों से कहीं अधिक है, लेकिन कंपनियों एवं व्यक्तिगत श्रेणियों में नए सदस्यों की वृद्धि दर सरकारी कर्मचारियों से अधिक रही है, जो एनपीएस की बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है।
लॉकडाउन में उपभोक्ता व्यय कम रहने से पेंशन योजना से आंशिक निकासी भी 28 फीसदी घटी है।