Rupee vs Dollar: डॉलर के मुकाबले नरम होकर रुपया आज 83.65 तक गिर गया, जो इसका अब तक का सबसे निचला स्तर है। मुद्रा डीलरों ने कहा कि स्थानीय आयातकों और कंपनियों से डॉलर की मांग बढ़ने के कारण रुपया कमजोर हुआ। कारोबार के दौरान रुपया 83.67 तक लुढ़क गया था। इससे पहले 19 अप्रैल को रुपया दिन में 83.58 प्रति डॉलर के तक गया था डॉलर के मुकाबले रुपया कल 83.46 पर बंद हुआ था।
बाजार के कुछ भागीदारों का कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने कारोबार के अंतिम घंटे में विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में दखल देते हुए डॉलर बेचे, जिससे रुपये के नुकसान की कुछ हद तक भरपाई हो सकी।
एक सरकारी बैंक के डीलर ने कहा, ‘रिजर्व बैंक ने शुरू में मुद्रा विनिमय बाजार में दखल नहीं दिया मगर रुपया 83.62 प्रति डॉलर तक गिरने पर वह हरकत में आ गया। केंद्रीय बैंक अगले 2-3 हफ्तों तक रुपये को 83.70 प्रति डॉलर के आसपास रखने का प्रयास करेगा।’
बाजार के भागीदारों ने कहा कि शुरुआती कारोबार में केंद्रीय बैंक का हस्तक्षेप नहीं हुआ तो डॉलर के मुकाबले रुपया तेजी से गिरा। चीन की मुद्रा युआन कमजोर पड़ी और डॉलर मजबूत हुआ, जिसका असर रुपये पर दिखा।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी में ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, ‘रुपया एक दायरे में चल रहा था मगर अचानक फिसलकर 83.67 पर चला गया क्योंकि रिजर्व बैंक मुद्रा बाजार में दखल नहीं दे रहा था। रुपये में नरमी की मुख्य वजह डॉलर का मजबूत होना, चीन की मुद्रा का कमजोर होना, शेयर बाजार से निकासी और तेल कंपनियों द्वारा डॉलर की खरीदारी रही।’
उन्होंने कहा, ‘लगता है कि रिजर्व बैंक ने चुनाव के बाद रुपये में आई गिरावट को स्वीकार कर लिया है। उस समय डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 83.60 के भी पार चला गया था।’ चालू वित्त वर्ष में रुपये में 0.3 फीसदी नरमी आई है और इस साल अभी तक यह करीब 0.5 फीसदी गिरा है। जून में डॉलर के मुकाबले यह 0.2 फीसदी लुढ़क चुका है।
कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आने के बाद से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक और तेल आयातक लगातार डॉलर खरीद रहे हैं। यमन के अंसाल अल्ला ग्रुप (जिसे आम तौर पर हूती के नाम से भी जाना जाता है) ने लाल सागर में माल ढोने वाले एक जहाज पर हाल में हुए हमले का वीडियो जारी किया है। इस वीडिये से हूतियों के लगातार हमलों का पता चला है।
ट्रेडरों का अनुमान है कि वोडाफोन द्वारा इंडस टावर में हिस्सेदारी बेचे जाने से बाजार से 1.7 अरब डॉलर निकल गए हैं। इससे भी रुपये पर दबाव पड़ सकता है।
निकट अवधि में रुपये पर दबाव बने रहने का अंदेशा है और जेपी मॉर्गन बॉन्ड सूचकांक में भारतीय बॉन्ड शामिल होने के बाद डेट सेगमेंट में निवेश बढ़ने से डॉलर के मुकाबले रुपये में मजबूती आ सकती है।
28 जून से भारतीय बॉन्ड जेपी मॉर्गन बॉन्ड सूचकांक में शामिल होन लगेंगे। बाजार के भागीदारों के अनुसार डॉलर के मुकाबले रुपया 83.50 के दायरे में कारोबार करता रह सकता है।