वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में सरकार ने बाजार से भारी भरकम रकम उधार लेने की घोषणा की है, जो बाजार के अनुमान से भी ज्यादा मानी जा रही है। बाजार से जुड़े लोगों का कहना है कि सरकार के उधारी कार्यक्रम को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अगले सप्ताह मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में रिवर्स रीपो दर में इजाफा कर सकता है।
सरकार ने अगले वित्त वर्ष के दौरान बाजार से 14.1 लाख करोड़ रुपये उधार लेने की घोषणा की है। भारी भरकम उधारी की योजना देखते हुए आरबीआई मौद्रिक नीति सामान्य करने के लिए विवश हो सकता है। केंद्रीय बैंक ने इस दिशा में कदम भी बढ़ा दिया है और सरकारी प्रतिभूति खरीद कार्यक्रम (जीसैप) समेटना शुरू कर दिया है। साथ ही वह अल्प अवधि की दरें भी बढ़ाने लगा है। अब आरबीआई रिवर्स रीपो दर में इजाफा कर सकता है।
एलआईसी एमएफ में वरिष्ट फंड प्रबंधक राहुल सिंह कहते हैं, ‘पिछले एक सप्ताह में बॉन्ड पर प्रतिफल काफी उछल गया है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व से मिले संकेत इसकी एक हैं। दूसरी ओर वैश्विक बॉन्ड सूचकांक में भारत को शामिल किए जाने के विषय पर बजट में कोई चर्चा नहीं होने और संशोधित राजकोषीय घाटा अधिक रहने से भी बॉन्ड पर प्रतिफल बढ़ गए हैं।’
सिंह ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि अब आरबीआई जरूर और प्रतिक्रिया देगा। सिंह ने कहा कि अब केंद्रीय बैंक रिवर्स रीपो और रीपो दर के बीच अंतर कम कर सकता है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक में प्रमुख, आर्थिक शोध (दक्षिण एशिया) अनुभूति सहाय ने कहा, ‘मौद्रिक नीति समिति अब नीतिगत दरें सामान्य स्तर पर लाने की शुरुआत कर सकता है। अगस्त और दिसंबर के बीच रीपो दर 75 आधार अंक बढ़ाकर 4.75 प्रतिशत तक की जा सकती है। इससे पहले अप्रैल तक रिवर्स रीपो और रीपो दर के बीच अंतर 65 आधार अंक से कम कर 25 आधार अंक किया जा सकता है।
