वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की अर्थव्यवस्था की नॉमिनल वृद्धि दर 13 प्रतिशत रहने की संभावना है, ऐसे में गणनाओं से पता चलता है कि आगामी बजट में सकल कर राजस्व भी 23.65 लाख करोड़ रुपये रहने की संभावना है। यह इस साल के अनुमानित कर राजस्व से करीब 23 प्रतिशत ज्यादा होगा।
महामारी के कारण केंद्र का सकल कर राजस्व 2020-21 में 19.24 लाख करोड़ रुपये के करीब रहने का अनुमान है, जो इसके पहले के वित्त वर्ष की तुलना में 4.23 प्रतिशत कम और बजट पेश करते समय लगाए गए राजस्व अनुमान की तुलना में 26 प्रतिशत कम है। इसका मतलब यह है कि केंद्र अपना बजट अनुमान कम से कम 5 लाख करोड़ रुपये कम करेगा। वित्त वर्ष 21 में कर और जीडीपी का अनुपात 9.88 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था, जो पिछले साल जितना ही था, जब यह दशक के निचले स्तर पर पहुंच गया था। वित्त वर्ष 22 में कर जीडीपी अनुपात 10.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जो पिछले 5 साल का औसत है। अर्थशास्त्रियों ने वित्त वर्ष 2021-22 में नॉमिनल जीडीपी वृद्धि दर 11 प्रतिशत से 15.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, ऐसे में इसके औसत के रूप में नॉमिनल जीडीपी वृद्धि 13.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया जा सकता है।
सकल कर राजस्व में आयकर, कॉर्पोरेशन कर, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और सीमा एवं उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी को शामिल किया गया है।
इक्रा में प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि वित्त वर्ष 2022 के लिए राजस्व की क्षमता का अनुमान लगाना चुनौतीपूर्ण है। नायर ने कहा, ‘बहरहाल केंद्र व राज्यों के बजट में लगाए गए अनुमान निश्चित रूप से यथार्थवादी होने चाहिए, जिससे कुल मिलाकर बजट की विश्वसनीयता सुनिश्चित हो सके। कुल आंकड़ों के हिसाब से देखें तो हमारा अनुमान है कि शुद्ध कर राजस्व 15.5 लाख करोड़ रुपये रहेगा।’ उन्होंने कहा कि कर की दरों में आगामी बजट में बड़े बदलाव नहीं किए जाने चाहिए।
वित्त वर्ष 2016 से वित्त वर्ष 2020 के बीच वास्तविक सकल कर राजस्व संग्रह वित्त वर्ष 2016, 2017 और 2018 में बजट अनुमान से ज्यादा था। 2018-19 और 2019-20 में वास्तविक बढ़ोतरी संशोधित करके कम किए गए अनुमान से भी कम थी।
इस साल नवंबर तक सकल कर राजस्व पिछले साल के 10.26 लाख करोड़ रुपये से स्तर से महज आधा था। बहरहाल नवंबर में राजस्व में 23 प्रतिशत की तेज बढ़ोतरी हुई, जो मुख्य रूप से व्यक्तिगत आयकर, उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क में बढ़ोतरी की वजह से हुई है। वहीं कॉर्पोरेट कर संग्रह में संकुचन रहा। नवंबर तक के 8 महीनों में सकल कर राजस्व लसंग्रह पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 12.6 प्रतिशत कम रहा है।वित्त सचिव अजय भूषण पांडेय ने इसके पहले के एक साक्षात्कार में कहा था कि कर राजस्व में कर राजस्व में ऋणात्मक वृद्धि की उम्ीद है और कर राजस्व संग्रह भी उसी सीमा में होगा। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने अनुमान लगाया है कि 2020-21 में नॉमिनल जीडीपी में 4.2 प्रतिशत संकुचन और वास्तविक जीडीपी मे 7.7 प्रतिशत की गिरावट आएगी।
2015-16 से लगातार कर वृद्धि कम हो रही है और 2019-20 में यह -0.47 प्रतिशत हो गई। प्रत्यक्ष कर में तेजी भी 2018-19 के 1.59 प्रतिशत की तुलना में 2018-19 में 1.23 प्रतिशत और 2019-20 में -1.21 प्रतिशत पर पहुंच गई और कर व जीडीपी का अनुपात एक दशक के निचले सस्तर 9.88 प्रतिशत पर पहुंच गया। दरअसल कर में तेजी ऋणात्मक थी।
उत्पाद शुल्क संग्रह चालू वित्त वर्ष में बेहतर रहा है। इसमें नवंबर तक 47.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, क्योंकि सराकर ने पेट्रोल व डीजल पर कर बहुत ज्यादा बढ़ा दिया है। बजट अनुमान का दो तिहाई लक्ष्य नवंबर तक पूरा कर लिया गया है। पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 32.98 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 32.83 रुपये प्रति लीटर है। 2017 में जीएसटी पेश किए जाने के बाद सभी उत्पाद शुल्क इसमें शामिल कर लिया गया है, सिर्फ पेट्रोलियम उत्पादों व अल्कोहव पर अलग से उत्पाद शुल्क लगता है।
केपीएमजी में पार्टनर हरप्रीत सिंह का कहना है कि ज्यादातर अर्थशास्त्री वी आकार की रिकवरी की उम्मीद कर रहेहैं। ऐसे में अगले वित्त वर्ष के दौरान मासिक जीएसटी राजस्व 1 लाख करोड़ रुपये को छू सकता है।
