बहुत शोर सुनते थे पहलू में दिल का, जो चीरा तो कतरा-ए-खूं निकला।
ऐन ऐसा ही हुआ रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति के मामले में, जिससे कारोबारी जगत ढेरों उम्मीदें लगा रखी थीं लेकिन वह भी उनके लिए महज झुनझुना ही साबित हुई। केंद्रीय बैंक ने शुक्रवार को पेश की गई इस नीति में अपनी प्रमुख दरें अपरिवर्तित रखकर न सिर्फ बैंकरों बल्कि समूचे कारोबारी जगत को चौंका दिया।
बैंक ने कहा कि ग्राहकों को ऋण दरों में किसी तरह की कटौती के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा। समीक्षा में साल 2008-09 के लिए आर्थिक विकास दर का अनुमान घटाकर 7.5 – 8 फीसदी कर दिया गया है।
2008-09 की मध्यावधि मौद्रिक समीक्षा
क्या हुए फैसले
नहीं घटी सीआरआर, रेपो, रिवर्स रेपो और बैंक दर
वित्त वर्ष 2008-09 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अनुमान घटाकर 7.5 – 8 फीसदी
महंगाई दर अनुमान मार्च 2009 तक घटाकर सात फीसदी
कहां है निशाना
महंगाई दर, जिसका दोहरे अंकों में होना अभी भी चिंता का विषय
क्या होंगे अगले कदम
उचित वक्त पर क्रेडिट डिफॉल्ट स्वाप (ऋण चूक अदला-बदली) पेश करने के प्रस्ताव की समीक्षा होगी
ब्याज दर वायदा साल 2009 की शुरूआत में होगा शुरू
नकदी सामंजस्य सुविधा (लैफ) के तहत अचानक रेपो-रिवर्स रेपो करने का विकल्प खुला
भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं पर भी रहेगी नजर
बकौल आरबीआई
दुनिया में 1930 के दशक की मंदी (ग्रेट डिप्रेशन) से लेकर अब तक की सबसे खराब स्थिति
लेकिन वैश्विक वित्तीय संकट से हमने लिया सबक
स्थिति के अनुरूप कदम उठाया, मंदी से निपटने का पूरा यकीन
हमारी वित्तीय प्रणाली और आर्थिक बुनियाद मजबूत
हाल में नकदी डाले जाने के बाद बैंकिंग प्रणाली में 1.85 लाख करोड़ रुपये की पर्याप्त नकदी