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‘रिजर्व बैंक को करना है संतुलन साधने का कठिन काम’

बजट के पहले उद्योग जगत की सरकार से अपेक्षाओं और मौजूदा हालात में पर उद्योग जगत का मत बताया FICCI के अध्यक्ष हर्ष वर्धन अग्रवाल ने।

Last Updated- December 15, 2024 | 9:46 PM IST
Interview with FICCI President

रोजमर्रा के इस्तेमाल का सामान बनाने वाली कंपनी इमामी के उपाध्यक्ष व प्रबंध निदेशक हर्ष वर्धन अग्रवाल ने बीते महीने भारतीय वाणिज्य और उद्योग महासंघ (फिक्की) के अध्यक्ष का कार्यभार संभाला। अग्रवाल ने अक्षरा श्रीवास्तव और असित रंजन मिश्र को नई दिल्ली में दिए साक्षात्कार में कई विषयों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के चुने जाने के बाद शुल्क युद्ध की आशंका को भारत के लिए अवसर बताते हुए निजी पूंजीगत व्यय बढ़ने का भरोसा जताया। प्रमुख अंश :

आपकी आगामी बजट से क्या उम्मीदें हैं?
सरकार साल-दर-साल बजट पर अपने नजरिये और कार्य करने के तरीके को लेकर एकरूपता बनाए हुए है। यह इसी तरह आगे बढ़ना चाहिए। हमने वित्त वर्ष 25 के पूंजीगत व्यय 11.1 लाख करोड़ रुपये से 15 फीसदी वृद्धि की सिफारिश की है। हम हरित ऊर्जा और चक्रीय अर्थव्यवस्था के लिए ज्यादा आवंटन चाहते हैं। हमने सरलीकृत टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) दर ढांचे की सिफारिश की है। हमने अधिक ‘कारोबारी सुगमता’ का अनुरोध किया है।

आपको क्यों लगता है कि निजी पूंजीगत व्यय नहीं बढ़ रहा है। क्या बढ़ती अनिश्चितता इसकी वजह है?
यह कहना सही नहीं होगा कि पूंजीगत व्यय नहीं हो रहा है या यह नहीं बढ़ रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को निजी निवेश बीते साल की तुलना में 50 फीसदी से ज्यादा बढ़ने की उम्मीद है। कोविड से मांग और खपत पर असर पड़ा था। इससे अब उद्योग उबर चुका है और इसके बहीखाते कर्जमुक्त हुए हैं। विनिर्माण क्षमता का उपयोग 74-75 फीसदी है और यही वह उपयुक्त बिंदु है जहां से निजी कंपनियां निवेश की तलाश शुरू करती हैं। उम्मीद है कि इससे पूंजीगत व्यय को बढ़ाने में मदद मिलेगी।

मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन के मुताबिक कंपनियों के लाभ के मुताबिक वेतन नहीं बढ़ रहा है, आप इसे कितना सच मानते हैं?
वेतन की तुलना में लाभ अधिक बढ़ा हो सकता है। लेकिन यह हमेशा एक समान नहीं रहेगा। इसका कारण यह है कि कंपनियां तकनीक को अपना रही हैं। मुझे नहीं मालूम है कि इसे गणना में शामिल किया गया है या नहीं, क्या तकनीक आदि स्वीकार किए जाने के कारण वेतन और लाभ का अनुपात गिर गया है। इस मामले पर मेरे लिए टिप्पणी करना मुश्किल है।

आपके विचार से डॉनल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव जीतने का भारत और उद्योग जगत पर क्या असर होगा?
हरेक देश का अपने उद्योग को मदद और संरक्षण देने का रुझान कायम रहने वाला है। मेरा विचार है कि ट्रंप के चुनाव जीतने का भारत पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। इसका कारण यह है कि कई अन्य देश जैसे चीन और मेक्सिको भी शुल्क लगा सकते हैं। इसका कुछ क्षेत्रों पर असर पड़ सकता है लेकिन मुझे व्यापक तौर पर कोई चुनौती नजर नहीं आती है। सच तो यह है कि अन्य देशों पर शुल्क लगाए जाने की स्थिति में भारत के उद्योगों के लिए कुछ अवसर बढ़ सकते हैं।

उच्च ब्याज दर एक प्रमुख चुनौती है। क्या आपको लगता है कि भारतीय रिजर्व बैंक अल्प अवधि में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है?
रिजर्व बैंक को संतुलन साधने का कठिन काम करना है। उद्योग के लिए महंगाई अच्छी बात नहीं है और न ही यह पूरी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी है। साथ ही उद्योग के लिए उच्च ब्याज दरें भी अच्छी नहीं हैं। मुझे लगता है कि विवेकपूर्ण फैसले लेते हुए भारतीय रिजर्व अच्छा कार्य कर रहा है। हम उम्मीद करते हैं कि एक बार महंगाई नियंत्रण में आने के बाद ब्याज दरों में कुछ कटौती होगी।

First Published - December 15, 2024 | 9:46 PM IST

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