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उद्योग के विशेषज्ञों ने कहा है कि जीएसटी पर यह फैसला सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम (एमएसएमई) की कंपनियों राहत देगा

Last Updated- September 05, 2025 | 8:37 AM IST
MSME
भारत के कपड़ा और परिधान निर्यात का करीब 28 प्रतिशत निर्यात अमेरिका को होता है। (फाइल फोटो)

अमेरिका द्वारा लगाए गए उच्च शुल्क से जूझ रहे भारत के कपड़ा और परिधान उद्योग के लिए कम जीएसटी दरें राहत लेकर आई हैं। उपभोक्ताओं को 5 प्रतिशत जीएसटी सीमा को 1,000 रुपये से बढ़ाकर 2,500 रुपये किए जाने से लाभ मिलने की उम्मीद है। वहीं फाइबर से लेकर आगे की पूरी मूल्य श्रृंखला पर एक समान 5 प्रतिशत की दर से शुल्क लगाकर उल्टे शुल्क ढांचे को हटाने और मानव निर्मित फाइबर (एमएमएफ) और कपास फाइबर श्रृंखलाओं को समान मानकर फाइबर तटस्थ नीति अपनाने का उद्योग जगत ने स्वागत किया है। बहरहाल 2,500 रुपये से ऊपर के कपड़ों की कीमत बढ़ने वाली है, क्योंकि उन पर जीएसटी 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है। इसका असर आगामी सर्दियों में मध्य वर्ग पर पड़ सकता है।

उद्योग जगत ने सरकार व जीएसटी परिषद से इस सेग्मेंट पर पुनर्विचार करने को कहा है। उद्योग के विशेषज्ञों ने कहा है कि जीएसटी पर यह फैसला सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम (एमएसएमई) की कंपनियों राहत देगा, जिनकी इस उद्योग में बड़ी हिस्सेदारी है। पैकेजिंग पर शुल्क 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किए जाने से भी फायदा होने की उम्मीद की जा रही है।

गार्मेंट्स की बढ़ेगी मांग

दिल्ली की टीटी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और आईसीसी नैशनल टेक्सटाइल्स कमेटी के चेयरमैन संजय कुमार जैन ने कहा, ‘फैसले से ग्राहकों के हाथ में ज्यादा खर्च करने के लिए राशि आएगी, गार्मेंट्स की मांग बढ़ेगी और इस सेक्टर की कंपनियों के नकदी के प्रवाह में वृद्धि होगी। उद्योग लंबे समय से मानव निर्मित फाइबर धागे और फैब्रिक पर उल्टे शुल्क ढांचे को खत्म करने की मांग कर रहा था। अब पूरी श्रृंखला पर 5 प्रतिशत कर है, जितना कपास पर है।’ उन्होंने कहा, ‘नए ढांचे के तहत 2,500 रुपये से ऊपर के गार्मेंट्स 6 प्रतिशत महंगे हो जाएंगे।’

उद्योग के एक बड़े हिस्से को सीधे होगा लाभ

एमएमएफ के मोर्चे पर फैसले और अन्य फैसलों से राजस्व बढ़ने और करीब 27.2 लाख एमएसएमई को लाभ होगा, जो कपड़ा और परिधान विनिर्माण क्षेत्र में काम कर रहे हैं। कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री के चेयरमैन राकेश मेहरा ने कहा, ‘हम मानव निर्मित फाइबर (एमएमएफ) मूल्य श्रृंखला में जीएसटी पर सुधार के लिए धन्यवाद देते हैं और इसका स्वागत करते हैं, जिसके तहत एमएमएफ फाइबर और यार्न पर कर की दर क्रमशः 18 प्रतिशत और 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गई है। इससे हजारों की संख्या में कताई और बुनाई करने वाले लोगों की लंबे समय से फंसी कार्यशील पूंजी मुक्त होगी। भारत में 70-80 प्रतिशत से अधिक टेक्सटाइल और अपैरल इकाइयां एमएसएमई हैं, इसलिए यह सुधार नकदी के दबाव को कम करके और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाकर उद्योग के एक बड़े हिस्से को सीधे तौर पर लाभ पहुंचाएगा।’

भारत के कपड़ा और परिधान निर्यात का करीब 28 प्रतिशत निर्यात अमेरिका को होता है। वित्त वर्ष 2024-25 में 11 अरब डॉलर का निर्यात अमेरिका को हुआ। जीएसटी सुधारों से कंपनियों को राहत मिलने की उम्मीद है और वे अमेरिकी शुल्क के झटकों के बाद घरेलू बाजार पर ज्यादा ध्यान दे सकेंगी। शोरूम बी2बी के सह संस्थापक अभिषेक दुआ का कहना है कि जीएसटी में राहत दिए जाने से कपड़े और जूते अधिक किफायती होंगे और खरीदारों पर बोझ कम होगा।

First Published - September 5, 2025 | 8:37 AM IST

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