अर्थव्यवस्था

नई सरकारी परियोजनाओं में आई रिकॉर्ड कमी, रिपोर्ट में सामने आए डेवलपमेंट के कई आंकड़े

दिसंबर 2023 में नई सरकारी परियोजनाओं में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 81 प्रतिशत कमी आई है।

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सचिन मामपट्टा   
Last Updated- January 01, 2024 | 9:38 PM IST

नई सड़कें, रेलवे व अन्य पूंजीगत व्यय (Capex) परियोजनाएं दिसंबर तिमाही में रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई है। सरकार ने दिसंबर में समाप्त तिमाही में महज 0.3 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं की घोषणा की है, जो अब तक का निचला स्तर है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) के आंकड़ों से यह पता चलता है।  इन आंकड़ों में केंद्र व राज्य सरकार की परियोजनाएं शामिल होती हैं और अतिरिक्त सूचनाएं आने पर आंकड़ों में बदलाव हो सकता है। लेकिन तिमाही के अंत में जो आंकड़ा सामने आया है, वह मार्च 2009 के बाद का सबसे निचला स्तर है।

यह साफ नहीं है कि बाद के संशोधनों से इसमें कितनी बढ़ोतरी हो सकती है। इसके पहले की तिमाही में 0.7 लाख करोड़ रुपये रिकॉर्ड किया गया था, जो दिसंबर 2020 के 0.6 लाख करोड़ रुपये के बाद का निचला स्तर था, जब कोविड-19 महामारी के शुरुआती महीनों में बुनियादी ढांचा (इन्फ्रास्ट्रक्चर) परियोजनाओं पर कम खर्च हुआ था।

दिसंबर 2023 में नई सरकारी परियोजनाओं में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 81 प्रतिशत कमी आई है।

निजी क्षेत्र की नई परियोजनाएं भी कम आई हैं। ताजा उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर में निजी क्षेत्र की नई परियोजनाएं पिछले साल की तुलना में 77 प्रतिशत घटकर 1.9 लाख करोड़ रुपये की रह गई हैं। परियोजनाएं पूरी होने की दर भी 30 से 50 प्रतिशत कम हुई है।

वैश्विक वित्तीय सेवा क्षेत्र की दिग्गज गोल्डमैन सैक्स ने अक्टूबर 2023 की इकोनॉमिक रिसर्च रिपोर्ट में कहा है कि सरकार द्वारा व्यय में कटौती की जरूरत की वजह से पूंजीगत व्यय में सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में कमी आई है।

गोल्डमैन सैक्स के विश्लेषकों शांतनु सेनगुप्ता, अर्जुन वर्मा और एंड्रयू टिल्टन द्वारा लिखी गई रिपोर्ट में कहा गया है, ‘सब्सिडी पहले ही महामारी के पहले के निचले स्तर पर पहुंच गई है। ऐसे में वित्तीय समेकन के लिए सरकार जीडीपी के प्रतिशत में सार्वजनिक व्यय में कटौती कर सकती है और साथ ही अन्य चालू व्यय घटा सकती है। साथ ही कर प्राप्तियों में भी कुछ सुधार संभव है। दूसरे शब्दों में कहें तो हमारे विचार से पिछले साल से चल रही सरकार के पूंजीगत व्यय में वृद्धि आगे चलकर टिकाऊ नहीं रह सकेगी।’

रिपोर्ट में कहा गया है कि निजी क्षेत्र की कंपनियां यह कमी पूरी कर सकती हैं, क्योंकि उनका ऋण इस दशक के निचले स्तर पर है। उन्हें उधारी लेने और नई फैक्टरियों व अन्य परियोजनाओं में निवेश के हिसाब से ज्यादा अवसर है।

निजी कंपनियां तभी नई फैक्टरियां लगाने में निवेश करती हैं, जब उनकी मौजूदा क्षमता का पूरा इस्तेमाल हो। भारतीय रिजर्व बैंक के ऑर्डर बुक, इनवेंट्रीज ऐंड कैपेसिटी युटिलाइजेशन सर्वे (OBICUS) सर्वे के मुताबिक जून 2023 तक के आंकड़ों के मुताबिक महामारी के बाद से भारत में फैक्टरियों की क्षमता का इस्तेमाल सुधरा है और इसका 70 से 75 प्रतिशत इस्तेमाल हो रहा है। यह आंकड़ा थोड़ा पहले का होता है और अंतिम आंकड़ा अक्टूबर में जारी हुआ था।

अक्सर आम चुनाव के पहले निजी निवेश सुस्त हो जाता है। आम चुनाव इस साल होने हैं। लेकिन विश्लेषकों को उम्मीद है कि पूंजीगत व्यय जारी रहेगा।

वैश्विक वित्तीय सेवा समूह जेफरीज की 4 दिसंबर की इंडिया स्ट्रैटजी रिपोर्ट में इक्विटी विश्लेषकों महेश नंदुरकर, अभिनव सिन्हा और इक्विटी एसोसिएट निशांत पोद्दार ने कहा है कि राज्यों के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत से केंद्र में मौजूदा सरकार के बने रहने को लेकर उम्मीद बढ़ी है।

First Published : January 1, 2024 | 9:38 PM IST