भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ईमानदारी व वित्तीय प्रोफाइल को बढ़ाने की जरूरत पर जोर देते हुए आज शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के निदेशकों को नई लेखांकन प्रथाओं का इस्तेमाल करके वास्तविक वित्तीय स्थिति को छिपाने के प्रति आगाह किया है।
रिजर्व बैंक ने कहा है कि यूसीबी को वित्तीय व परिचालन के लचीलेपन को मजबूत करना होगा, जिससे समग्र वित्तीय व बैंकिंग क्षेत्र की स्थिरता में योगदान कर सकें। यूसीबी सेक्टर ने कुल मिलाकर वित्तीय प्रदर्शन में सुधार किया है, वहीं हाल के वर्षों में कुछ व्यक्तिगत संस्थाओं में कमजोरियां देखी जा रही हैं।
चुनिंदा यूसीबी के निदेशकों को संबोधित करते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि वित्तीय स्थिति को लेकर ईमानदारी और पारदर्शिता बनाने में निदेशकों की बहुत अहम भूमिका है।
रिजर्व बैंक ने आज मुंबई जोन के टियर-3 व टियर-4 शहरी सहकारी बैंकों के निदेशकों के साथ कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया।
गवर्नर ने ‘गवर्नेंस इन बैंक्स- ड्राइविंग सस्टेनेबल ग्रोथ ऐंड स्टेबिलिटी’ की अवधारणा पर आयोजित कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। टियर-4 यूसीबी में वे इकाइयां शामिल हैं, जिनमें जमा 10,000 करोड़ रुपये से ऊपर है। वहीं टियर-3 में शहरी सहकारी बैंक आते हैं, जिनमें जमा 1,000 करोड़ रुपये से 10,000 करोड़ रुपये तक है।
रिजर्व बैंक ने वित्तीय व्यवस्था के विभिन्न सेग्मेंट में काम कर रही नियमन के दायरे में आने वाली इकाइयों के निदेशकों के साथ बातचीत शुरू की है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और निजी क्षेत्र के बैंकों के निदेशक मंडल के साथ दो अलग अलग कॉन्फ्रेंस मई 2023 में हो चुकी है। आगे चलकर रिजर्व बैंक इस तरह की कॉन्फ्रेंस अन्य क्षेत्रों के शहरी सहकारी बैंकों के निदेशकों के साथ भी करेगा।
उन्होंने कहा कि कठोर जोखिम प्रबंधन को बनाए रखने के लिए बोर्ड को मजबूत अंडरराइटिंग मानदंड, कर्ज जारी होने के बाद प्रभावी निगरानी, दबाव के समय पर पहचान में सक्रिय भूमिका निभाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि बड़े एनपीए की प्रभावी वसूली के लिए उधार लेने वालों पर कड़ी निगरानी रखने और पर्याप्त प्रॉविजनिंग में भी बोर्ड की अहम भूमिका है।