भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को कहा कि फरवरी और अप्रैल में की गई नीतिगत दर में कटौती का असर अब पूरी तरह से हो गया है। उन्होंने कहा कि इससे ऋण वृद्धि फिर से तेजी आने में मदद मिली है और केंद्रीय बैंक के मौद्रिक रुख की पुष्टि हुई है। फाइनैंशियल एक्सप्रेस द्वारा आयोजित बैंकिंग शिखर सम्मेलन में बोलते हुए उन्होंने कहा, ’हमारे पास अब जून के ऋण दरों के प्रारंभिक आंकड़े हैं। इससे पता चलता है कि दिए जा रहे नए ऋण का ब्याज कम से कम 50 आधार अंक कम है। दो महीनों में हमने नीतिगत दर में 50 आधार अंक कटौती की और जून में मौद्रिक नीति का पूरा असर हो गया है। इससे ऋण वृद्धि को बेहतर बनाने और कुल मिलाकर वृद्धि को गति देने में मदद मिलेगी।’
उन्होंने फिर दोहराया है कि दरों में आगे किसी कटौती का फैसला वृद्धि दर और महंगाई के आंकड़ों पर निर्भर होगा। चालू वर्ष में फरवरी से अब तक रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत रीपो रेट में 100 आधार अंक की कटौती की है। जून की बैठक में 50 आधार अंक की कटौती करते हुए 6 सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत रुख को समावेशी से बदलकर तटस्थ कर दिया था।
रुख में बदलाव पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, ‘इसका मतलब यह नहीं है कि नीतिगत ढील के विचार को उलट दिया गया है। अभी भी कटौती हो सकती है। हमारे पास ऊपर, नीचे जाने या यथास्थिति बनाए रखने की सुविधा है।’उन्होंने कहा, ‘इससे भी महत्त्वपूर्ण यह है कि दर में कटौती जीडीपी की वृद्धि दर और महंगाई दर की स्थिति पर निर्भर होगी, जैसा कि मैंने पहले भी कहा है।’ मल्होत्रा ने आगे कहा कि केंद्रीय बैंक आर्थिक वृद्धि का समर्थन करते हुए मूल्य स्थिरता को प्राथमिकता देना जारी रखेगा। उन्होंने कहा कि कीमतों में स्थिरता बनाए रखना रिजर्व का प्राथमिक उद्देश्य है और यह वृद्धि दर को समर्थन करने से अलग नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘वित्तीय स्थिरता के लिए वृद्धि एक अनिवार्य शर्त है।’ उन्होंने कहा, ‘महंगाई के खिलाफ लड़ाई जीत ली गई है, लेकिन युद्ध जारी है। हम कभी भी महंगाई से अपनी नजर नहीं हटाते।’ रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में महंगाई दर 3.7 प्रतिशत रहने का अनुमा लगाया है। पिछले महीने प्रमुख महंगाई दर घटकर 6 साल के निचले स्तर पर आ गई थी। बैंकिंग क्षेत्र के नियमन पर गवर्नर ने कहा कि रिजर्व बैंक मौजूदा नियमों को सरल बनाने पर काम करेगी।
नियामक ढांचे का समय समय परआकलन करने के लिए नियामकीय समीक्षा सेल का गठन किया जाएगा और प्रावधानों में से बाधाएं दूर करने के साथ मौजूदा खामियां दूर की जाएगी।