भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति के अधिकतर सदस्य खुदरा मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत के निर्धारित लक्ष्य तक लाने की कवायद में किसी तरह की ढिलाई देने के पक्ष में नहीं थे। उन्हें खुदरा मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत के निर्धारित लक्ष्य तक लाने के उपायों में ढील देना मुनासिब नहीं लगा। शुक्रवार को मौद्रिक नीति समिति की बैठक के दौरान हुई चर्चा का ब्योरा सार्वजनिक किया गया।
इसके अनुसार अप्रैल में मौद्रिक नीति समीक्षा में एमपीसी के अधिकांश सदस्यों ने नीतिगत दरों पर यथास्थिति बरकरार रखने के पक्ष में अपनी राय दी। केवल बाहरी सदस्य जयंत वर्मा ने नीतिगत दर 25 आधार अंक घटाने के पक्ष में अपनी राय दी।
इस बारे में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘मेरा मानना है कि वर्तमान मौद्रिक नीतिगत ढांचा अपने उद्देश्यों के अनुरूप ठीक से काम कर रहा है। मौद्रिक नीति का असर दिख रहा है और महंगाई भी अब धीरे-धीरे कम होती जा रही है। मगर हमें लक्ष्य से ध्यान हटाए बिना सतर्कता के साथ आगे बढ़ना चाहिए। पिछले दो वर्षों के दौरान महंगाई में नरमी से फायदा उठाते हुए मुख्य महंगाई दर 4 प्रतिशत तक सीमित रखने के लक्ष्य की दिशा में काम करना चाहिए।’ दास ने कहा कि वृधि दर मजबूत रहने से नीतिगत स्तर पर मूल्य स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है।
एमपीसी के बाहरी सदस्य शशांक भिड़े ने कहा कि मजबूत आर्थिक वृद्धि दर को देखते हुए मुद्रास्फीति को निर्धारित लक्ष्य के इर्द-गिर्द रखना आवश्यक हो जाता है। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्र ने कहा कि फिलहाल मुख्य मुद्रास्फीति दर निर्धारित लक्ष्य के ऊपरी स्तर पर बनी रहेगी।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में अनुकूल आधार प्रभाव की स्थिति बनने तक तो यह उसी स्तर पर रहेगी।
पात्र ने कहा, ‘फिलहाल स्थिति ऐसी नहीं है कि हम मौद्रिक नीति में किसी तरह की कोई ढील देने की गुंजाइश पर विचार करें। जोखिम पूरी तरह कम होने और निकट अवधि से जुड़ी अनिश्चितताएं दूर होने तक मुद्रास्फीति कम करने के उपाय करते रहने होंगे।’
छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने अप्रैल में लगातार सातवीं बार नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया। वित्तीय प्रोत्साहन वापस लिए जाने के रुख में भी कोई बदलाव नहीं हुआ।
वर्मा ने कहा कि 1 से 1.5 प्रतिशत की वास्तविक ब्याज दर मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत लक्ष्य तक लाने के लिए काफी होगी। उन्होंने कहा कि मौजूदा 2 प्रतिशत की मौजूदा वास्तविक नीतिगत दर (2024-25 के लिए मुद्रास्फीति के अनुमानों के आधार पर) अधिक कही जा सकती है।
वर्मा ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2024-25 में आर्थिक वृद्धि दर 2023-24 की तुलना में आधा प्रतिशत से अधिक कम रहने का अनुमान है। यह हमें याद दिलाता है कि ऊंची ब्याज दरों से कहीं न कहीं आर्थिक वृद्धि को नुकसान पहुंचता है।’
एमपीसी की एक अन्य बाहरी सदस्य आशिमा गोयल ने कहा कि वास्तविक ब्याज दर अब स्वाभाविक या तटस्थ ब्याज दर (एनआईआर) की तुलना में अधिक है। उन्होंने कहा कि यह मुद्रास्फीति लक्ष्य के अनुरूप और उत्पादन पर्याप्त स्तर तक बनाए रखने के अनुकूल है।
उन्होंने कहा कि कंपनियों के मोटे मुनाफे और ऋण आवंटन में तेजी लागातर बनी रहने के बीच यह अधिक चिंता की बात नहीं है।
गोयल ने कहा कि तमाम अनिश्चितताओं को देखते हुए यथास्थिति बनाए रखना प्राथमिकता होनी चाहिए। समिति के आंतरिक सदस्य राजीव रंजन ने कहा कि मुद्रास्फीति नियंत्रण में किसी तरह की ढील की गुंजाइश फिलहाल नहीं है और सभी को चौकस रहने की जरूरत है।