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RBI MPC Meeting 2024: आरबीआई ने लगातार 9वीं बार नहीं की दरों में कटौती, रीपो रेट 6.50% पर बरकरार

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने लगातार नौवीं बार रीपो दर (Repo Rate) और अपने रुख में किसी तरह का बदलाव नहीं करने का फैसला किया। 

Last Updated- August 08, 2024 | 10:42 AM IST
RBI Governor Shaktikanta Das
RBI Governor Shaktikanta Das

RBI MPC Meeting 2024: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गुरुवार को चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में लगातार नौवीं बार नीतिगत रीपो रेट (repo rate) में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा।सुबह 10 बजे, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने बैठक के नतीजे घोषित किए।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक मंगलवार से शुरू हुई, जिसमें लिए गए निर्णय के अनुसार नीतिगत दर को यथावत रखने के पक्ष में समिति के छह में से चार सदस्यों ने मत दिया। इसके साथ ही एमपीसी ने उदार रुख को वापस लेने का रुख बरकरार रखा है। दास ने कहा कि महंगाई को टिकाऊ स्तर यानी चार प्रतिशत पर लाने और वैश्विक अनिश्चितता के बीच आर्थिक वृद्धि को गति देने के मकसद से नीतिगत दर को यथावत रखा गया है।

आरबीआई गवर्नर ने अपनी स्पीच में कहा कि तीसरी तिमाही में आधार प्रभाव के लाभ से कुल मुद्रास्फीति नीचे आ सकती है।

क्या होता है रीपो रेट?

रीपो रेट वह ब्याज दर है, जिस पर कॉमर्शियल बैंक अपनी जरूरतों के लिए केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। आरबीआई इसका इस्तेमाल मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए करता है। रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर रखने का मतलब है कि मकान, वाहन और अन्य कर्जों की मासिक किस्तों (ईएमआई) में बदलाव की संभावना कम है।

GDP ग्रोथ 7.2% रहने की संभावना

आरबीआई गवर्नर दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) ग्रोथ रेट के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति (retail inflation) के 4.5 प्रतिशत रहने के अनुमान को भी बरकरार रखा गया है।

आरबीआई का फोकस इनफ्लेशन पर

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक का फोकस इनफ्लेशन पर बना रहेगा, क्योंकि यह अभी भी 4% के लक्ष्य से अधिक है। आरबीआई के अनुसार, घरेलू ग्रोथ अच्छी बनी हुई है और निवेश की रफ्तार भी संतोषजनक है। मनीटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) ने इनफ्लेशन पर नजर बनाए रखने का निर्णय लिया है।

हालांकि, मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में स्लोडाउन है, जबकि सर्विसेज की ग्रोथ संतोषजनक है। विश्व के कई देशों में केंद्रीय बैंक मॉनेटरी पॉलिसी में बदलाव कर रहे हैं, जिसमें कुछ देशों में दरों में कमी और कुछ में विपरीत नीतियां अपनाई जा रही हैं।

पिछली बैठक में क्या हुआ था ऐलान?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने जून की बैठक में लगातार आठवीं बार रीपो दर (Repo Rate) और अपनी नीति में कोई बदलाव नहीं किया था। लेकिन, उसने चालू वित्त वर्ष के लिए देश की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान थोड़ा बढ़ाया था।

आखिरी बार कब हुआ था बदलाव?

गौरतलब है कि आरबीआई (RBI) ने मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच रीपो रेट को 2.5 प्रतिशत बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया था। इसके बाद, एमपीसी ने अपनी पिछली आठ मौद्रिक नीति बैठकों में ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया है।

आईडीएफसी फर्स्ट बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता ने कहा, ‘खाद्य महंगाई के जोखिम को देखते हुए नीति का रुख सतर्क रहेगा। गर्मियों के दौरान लू चलने और जून में मॉनसून के धीमे होने जैसे प्रतिकूल मौसम के कारण खाद्य महंगाई बढ़ने का दबाव बना हुआ है। रोजाना खाने-पीने की चीजों की कीमतों से पता चलता है कि जुलाई में रिटेल कीमतें ऊंची रही हैं और सब्जियों जैसे जल्दी खराब होने वाले उत्पादों की आपूर्ति भी प्रभावित हुई है।’

उन्होंने कहा, ‘अच्छी बात यह है कि मुख्य मुद्रास्फीति ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर है, जिससे यह संकेत मिलता है कि सामान्य तौर पर कीमतों का ज्यादा दबाव नहीं है। आर्थिक वृद्धि भी मजबूत बनी हुई है, इसलिए मौद्रिक नीति में खुदरा मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत के लक्ष्य के करीब बनाए रखने पर ध्यान दिया जाएगा।’

First Published - August 8, 2024 | 10:08 AM IST

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