90th foundation day of RBI: कई नए क्षेत्र खुलने से देश के युवाओं के लिए नए अवसर पैदा हुए हैं। ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को नए क्षेत्रों में काम कर रहे युवाओं को कर्ज सुनिश्चित कराने के लिए अभिनव नीतियां लानी चाहिए। आरबीआई के 90वें साल में प्रवेश करने पर आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कहा।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में हरित ऊर्जा क्षेत्रों के विस्तार का उदाहरण देते हुए सौर ऊर्जा, ग्रीन हाइड्रोजन और एथनॉल मिश्रण का भी जिक्र किया। उन्होंने स्वदेशी 5जी तकनीक और रक्षा क्षेत्र में बढ़ते निर्यात का भी उल्लेख किया। मोदी ने अगले 10 वर्षों के लक्ष्य पर स्पष्ट रहने की अहमियत पर भी जोर दिया। उन्होंने डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देते हुए कैशलेस अर्थव्यवस्था के जरिये लाए गए बदलावों पर भी नजर रखने की बात कही और वित्तीय समावेशन एवं सशक्तिकरण को व्यापक बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री ने संकटग्रस्त बैंकों को नवजीवन देने और उन्हें लाभदायक संस्थान में बदलने के आरबीआई के प्रयासों की सराहना की। मोदी ने कहा, ‘वर्ष 2014 में आरबीआई के 80 साल पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में जब मैं शामिल हुआ था तब स्थिति काफी अलग थी। देश का पूरा बैंकिंग क्षेत्र समस्याओं और चुनौतियों से जूझ रहा था। हर किसी के मन में भारतीय बैंकिंग तंत्र के स्थायित्व और भविष्य पर संशय था।’
कार्यक्रम में रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी, महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा, टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन, अर्थशास्त्री और 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पानगड़िया, आरबीआई के पूर्व गनर्वर ऊर्जित पटेल, भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश खारा और सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के अन्य बैंकों के मुख्य कार्याधिकारियों ने शिरकत की।
मोदी ने कहा, ‘स्थिति काफी खराब थी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक देश की आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देने में भी उतने सक्षम नहीं थे। मगर आज भारतीय बैंकिंग तंत्र को दुनिया में काफी सुदृढ़ और स्थायित्व वाला माना जाता है।’
उन्होंने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र के मुनाफे और उधारी वृद्धि में तेजी बीते एक दशक में उनकी सरकार और आरबीआई के समन्वित प्रयासों का नतीजा है। उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सकल गैर-निष्पादित आस्तियों में खासी कमी का भी उल्लेख किया। यह 2018 में करीब 11.25 फीसदी थी, जो सितंबर 2023 में घटकर 3 फीसदी से भी कम रह गई है।
दोहरी बैलेंस शीट के मुद्दे का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि इस समस्या का समाधान किया गया है और बैंकों में अब 15 फीसदी की मजबूत ऋण वृद्धि देखी जा रही है। उन्होंने इन उपलब्धियों का श्रेय आरबीआई को दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने अगले दशक में डिजिटल लेनदेन में तेजी लाने की जरूरत बताई और कैशलेस अर्थव्यवस्था में प्रगति पर नजर रखने का महत्त्व भी बताया। उन्होंने कहा, ‘पिछले 10 वर्षों में जो हुआ, वह सिर्फ झलकी है और देश को आगे ले जाने के लिए अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है।’
अपनी सरकार को तीसरा कार्यकाल मिलने के लिए आश्वस्त प्रधानमंत्री ने हल्के-फुल्के अंदाज में आरबीआई अधिकारियों से कहा कि उनके (प्रधानमंत्री) शपथ ग्रहण के अगले ही दिन से उनका काम बढ़ जाएगा। उन्होंने कहा, ‘अगले 100 दिन चुनावों को लेकर मेरी व्यस्तता रहेगी।
इसलिए आपके पास नई नीतियों के बारे में सोचने के लिए काफी समय होगा।’ मोदी ने यूपीआई के जरिये 1,200 करोड़ से अधिक मासिक लेनदेन का उल्लेख करते हुए कहा कि यह वैश्विक स्तर पर भुगतान के लिए मान्यता प्राप्त प्लेटफॉर्म बन गया है।
प्रधानमंत्री ने केंद्रीय बैंक के डिजिटल मुद्रा पर किए जा रहे काम का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले 10 वर्षों के परिवर्तन ने नई बैंकिंग प्रणाली, अर्थव्यवस्था और नई मुद्रा के अनुभव का अहसास कराया है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि देश में समन्वित और उचित मौद्रिक तथा राजकोषीय नीतियों ने अर्थव्यवस्था को कोविड-19 महामारी और भू-राजनीतिक संघर्षों के झटकों से बचाने और भारत को पहले से कहीं अधिक मजबूत होकर उभरने में मदद की।
दास ने कहा, ‘यह खुशी की बात है कि आज हमारी जीडीपी वृद्धि की रफ्तार तेज है, मुद्रास्फीति में भी नरमी आ रही है, वित्तीय क्षेत्र में स्थायित्व है और विदेशी मुद्रा भंडार सर्वकालिक उच्च स्तर पर है।’
उन्होंने कहा, ‘आरबीआई 100वें साल की ओर बढ़ रहा है, ऐसे में केंद्रीय बैंक एक स्थिर और सुदृढ़ वित्तीय प्रणाली सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है जो हमारे देश की आर्थिक प्रगति की बुनियाद के रूप में काम करेगी।’
कार्यक्रम में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकारी बॉन्ड की यील्ड में स्थिरता से वित्तीय बाजार में मजबूती आई हैऔर भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति निवेशकों का भरोसा बढ़ा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि मौद्रिक सख्ती के लिए किए गए उपायों ने सरकारी बॉन्ड की यील्ड को प्रभावी तरीके से स्थिर कर दिया है।
सीतारमण ने कई अर्थव्यवस्थाओं के लिए चिंता का सबब बनी मुद्रास्फीति का प्रबंधन करने में आरबीआई के सक्रिय दृष्टिकोण और वित्तीय स्थायित्व के लिए केंद्रीय बैंक की अनूठी रणनीति की सहाराना की।