भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को कहा कि भारत वृद्धि की बढ़ती संभावनाओं के साथ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय बैंक देश की अर्थव्यवस्था के समक्ष किसी भी जोखिम से निपटने के लिए तत्काल और निर्णायक कार्रवाई करने को प्रतिबद्ध है।
दास ने RBI की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) के 28वें अंक की भूमिका में लिखा है कि टिकाऊ और भरोसेमंद स्तर पर मूल्य स्थिरता हासिल करना, मध्यम अवधि में कर्ज के स्तर पर स्थिरता सुनिश्चित करना, वित्तीय क्षेत्र को और मजबूत करना, विकास के नए अवसर पैदा करना तथा समावेशी और हरित वृद्धि को बढ़ावा देना नीतियों के स्तर पर प्रमुख प्राथमिकता बनी हुई है।
रिपोर्ट वित्तीय स्थिरता के मार्चे पर जोखिम और भारतीय वित्तीय प्रणाली की मजबूती को लेकर वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (FSDC) की उप-समिति के सामूहिक मूल्यांकन को दर्शाती है।
दास ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रही है। इनके बीच भारतीय अर्थव्यवस्था एक मजबूत वित्तीय प्रणाली के साथ वृहद आर्थिक मोर्चे पर मजबूती दिखा रही है। मजबूत वित्तीय प्रणाली वृद्धि को बढ़ावा दे रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम किसी भी जोखिम को बढ़ने से रोकने के लिए तत्काल और निर्णायक कार्रवाई करने को लेकर सतर्क और प्रतिबद्ध हैं।’’
RBI गवर्नर ने यह भी कहा कि खुदरा कर्ज के कुछ खंडों के प्रति बैंकों के ‘उत्साह’ को रोकने के लिए केंद्रीय बैंक ने हाल में कदम उठाए है। यह अर्थव्यवस्था की वास्तविक जरूरतों के लिए कोष की उपलब्धता से समझौता किए बिना वित्तीय स्थिरता बनाए रखने की उसकी प्रतिबद्धता को बताता है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत वृद्धि की बढ़ती संभावनाओं के साथ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है… वृद्धि में तेज उछाल, मजबूत वृहद आर्थिक बुनियाद, मजबूत घरेलू मांग और सार्वजनिक नीतियों के स्तर पर सूझबूझ का नतीजा है।’’
दास ने कहा कि निश्चित रूप से देश वैश्विक स्तर पर संकट और तकनीकी बदलावों से उत्पन्न स्थिति, साइबर जोखिम और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों का सामना कर रहा है। ऐसे में आरबीआई का प्रयास वित्तीय प्रणाली को मजबूत करना, जिम्मेदार नवोन्मेष को बढ़ावा देना और समावेशी वृद्धि को बढ़ावा देने पर बना हुआ है।
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक और अन्य वित्तीय नियामक वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने तथा एक ऐसी वित्तीय प्रणाली को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं जो झटकों से निपटने में सक्षम हो और आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने वाली हो।’