अर्थव्यवस्था

भारत में खनिज भंडार बढ़ाने की तैयारी! केंद्र ने दी 34,000 करोड़ के खनिज मिशन को मंजूरी

मिशन को वित्तीय प्रोत्साहन के अलावा त्वरित अनुमोदन व अन्य देशों के साथ खनिज समझौते की योजना

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शुभायन चक्रवर्ती   
Last Updated- January 29, 2025 | 10:32 PM IST

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को 34,000 करोड़ रुपये के राष्ट्रीय महत्त्वपूर्ण खनिज मिशन को मंजूरी दे दी। इसका मकसद भारत सरकार और निजी क्षेत्र की कंपनियों को दूसरे देशों में महत्त्वपूर्ण खनिज संपदा के अधिग्रहण को प्रोत्साहन देना, संसाधन से संपन्न देशों के साथ व्यापार बढ़ाना और भारत में इसका भंडारण करना है।

खान मंत्रालय द्वारा वित्त वर्ष 2031 तक 7 वर्षों के लिए क्रियान्वित किए जाने वाले इस मिशन का खर्च 16,300 करोड़ रुपये होगा, जिसमें 2600 करोड़ रुपये का बजट समर्थन शामिल है। इसके साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (पीएसयू) द्वारा इस योजना पर 18,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाने की उम्मीद है। महत्त्वपूर्ण खनिजों के अन्वेषण, खनन, लाभ उठाने, प्रसंस्करण और महत्त्वपूर्ण खनिजों की रिकवरी सहित संपूर्ण मूल्य श्रृंखला को शामिल करते हुए इसका उद्देश्य महत्त्वपूर्ण खनिजों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार करना है।

अन्वेषण की कवायद बढ़ाने के साथ यह मिशन महत्त्वपूर्ण खनिज अन्वेषण के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करेगा। साथ ही ओवरबर्डन और टेलिंग्स के माध्यम इन खनिजों की रिकवरी को बढ़ावा देगा। इसके अलावा खनन परियोजनाओं को तेजी से नियामकीय मंजूरी देने के लिए व्यवस्था बनाई जाएगी।

केंद्र ने वित्त वर्ष 2031 तक 1,200 अन्वेषण परियोजनाओं की नीलामी का लक्ष्य रखा है, जिसमें 100 से ज्यादा ब्लॉक महत्त्वपूर्ण खनिज संसाधनों के होंगे। भंडार की स्थिति को लेकर स्पस्टता न होने, अन्वेषण में निवेश की भारी लागत की वजह से बोली प्रक्रिया में अब तक क्षमतावान निवेशक हिस्सा लेने से बचते रहे हैं।

विदेशी भंडार पर नजर

विदेश में स्थित संसाधनों पर खास ध्यान है। खनन मंत्रालय की ओर से जारी ब्योरे में कहा गया है, ‘सरकार केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और निजी क्षेत्र की कंपनियों को विदेश में महत्त्वपूर्ण खनिज परिसंपत्तियों के अधिग्रहण के लिए धन आवंटित करने के लिए प्रोत्साहित करेगी तथा आवश्यक दिशानिर्देश जारी करके केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, उनके संयुक्त उद्यमों और सहायक कंपनियों को विदेश में निवेश करने के लिए सशक्त बनाएगी।’

सरकार खनन और इसकी ढुलाई संबंधी बुनियादी ढांचा स्थापित करने के लिए लक्षित सब्सिडी मुहैया कराएगी। सरकार की खनन कंपनियों का संयुक्त उद्यम खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड (काबिल) ने अर्जेंटीना में ब्राइन टाइप लीथियम परिसंपत्तियों का अधिग्रहण किया है।

साथ ही केंद्र सरकार ने संसाधन संपन्न देशों के साथ महत्त्वपूर्ण खनिज साझेदारी समझौता करने का लक्ष्य बनाया है। साथ ही मंत्रालय ने कहा कि दिलचस्पी लेने वाले देशों के मौजूदा व्यापार समझौतों में महत्त्वपूर्ण खनिज से जुड़ा अध्याय भी शामिल किया जाएगा।

मिशन में खनिज प्रसंस्करण पार्कों की स्थापना के प्रावधान के साथ महत्त्वपूर्ण खनिजों की रिसाइक्लिंग में सहयोग देने का भी प्रावधान है। इस सेक्टर में शोध को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार नवोन्मेषियों व स्टार्टअप के लिए पेटेंट फाइलिंग कार्यवाही को समर्थन देगी और महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिए सेंटर ऑफ एक्सिलेंस स्थापित करेगी।

सरकार ने महत्त्वपूर्ण खनिजों की पहली सूची जुलाई 2023 में जारी की थी। इसमें रेयर अर्थ मैटेरियल (आरईई), लीथियम, मोलिब्डेनम, पोटाश, टंगस्टन और ग्रेफाइट जैसे संसाधनों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इन खनिजों सहित अन्य महत्त्वपूर्ण खनिज रणनीतिक उद्योगों जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार, परिवहन, कृषि, रक्षा, चिकित्सा और हरित ऊर्जा बदलाव के लिए महत्त्वपूर्ण उभरती तकनीकों के हिसाब से आवश्यक हैं।

सरकार ने महत्त्वपूर्ण खनिजों की खोज और खनन को बढ़ावा देने के लिए 2023 में खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 में संशोधन किया था। इस संशोधन के बाद रणनीतिक महत्त्व वाले खनिजों के 49 में से 24 ब्लॉकों की नीलामी की पेशकश की गई। इनमें लीथियम, ग्रेफाइट, फॉस्फोराइट और ग्लूकोनाइट जैसे प्रमुख संसाधन शामिल हैं। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने पिछले 3 वर्षों में महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिए 368 अन्वेषण परियोजनाएं शुरू की हैं, जिनमें से 195 परियोजनाएं वित्त वर्ष 2025 में चल रही हैं। मंत्रालय ने कहा है कि अगले वित्त वर्ष में जीएसआई महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिए 227 परियोजनाएं शुरू करेगा।

First Published : January 29, 2025 | 10:32 PM IST