जी 20 के ‘एनर्जी ट्रांजिशन वर्किंग ग्रुप’ की तीसरी बैठक में सोमवार को भारत के नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बढ़ने के रास्ते पर विचार विमर्श हुआ। यह कोयला व बिजली मंत्रालय के नेतृत्व में हुआ। बैठक में विषय ‘जस्ट ट्रांजिशन’ के दौरान राष्ट्रीय स्तर की नामचीन कोयला कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) और सबसे बड़े बिजली उत्पादक एनटीपीसी ने कहा कि देश में कोयले की खपत एक रात में कम नहीं की जा सकती है। देश की अर्थव्यवस्था पर ध्यान सबसे पहले ध्यान दिए जाने की जरूरत है।
देश के बिजली सचिव आलोक कुमार ने कहा कि भारत उत्सर्जन कम करने के मानकों के करीब है। देश मानकों के मामले में सात साल आगे है। देश के नवीकरणीय ऊर्जा का दौर तेजी से तय करने से ऊर्जा सुरक्षा भी मजबूत होगी। कुमार ने कहा, ‘हम दीर्घावधि में तेल और पेट्रोलियम पर अपनी निर्भरता कम करेंगे। आने वाले वर्षों में नवीकरणीय ऊर्जा सस्ता होगी जबकि जीवाश्म ईंधन की लागत अधिक होगी। यदि हमने सही ढंग से बिजली का मिश्रण किया तो आम लोगों के लिए बिजली सस्ती होगी।
इससे जीवाश्म ईंधन के आयात में कमी आएगी और यह ऊर्जा सुरक्षा लाएगी।’ बिजली सचिव ने कहा, ‘जब तक ऊर्जा के भंडारण की लागत कम नहीं आएगी, तब तक भारत कोयले पर आश्रित रहेगा। हमारे बिजली उत्पादन में कोयले की हिस्सेदारी निरंतर गिरती जाएगी लेकिन यह आर्थिक विकास की कीमत पर नहीं होगा। हो सकता है कि उत्सर्जन बढ़े लेकिन नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बढ़ने के प्रयास भी बढ़ेगे।’
सीआईएल के चेयरमैन व प्रंबध निदेशक प्रमोद अग्रवाल ने कहा कि सीआईएल के स्तर पर चुनौतियां सर्वाधिक जटिल होंगी। उन्होंने कहा कि एनर्जी हस्तांतरण का एक प्रमुख तरीका खानों का बंद करना है लेकिन खानों के बंद करने का संबंधित राज्यों पर अत्यधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।