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कैस में पीएमओ से हस्तक्षेप का आग्रह

Last Updated- December 05, 2022 | 4:30 PM IST

उत्तरी ग्रिड से अभी संकट के बादल टले नहीं हैं। इंजीनियरों की पूरी टीम 24 घंटे काम पर लगी है, जिससे भविष्य में होने वाले ब्रेकडाउन को रोका जा सके।


यह बताते हुए ट्रांसमिशन से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि इतनी कोशिशों के बावजूद भी बिजली की आपूर्ति में गड़बड़ी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। तीन दिन पहले उत्तरी ग्रिड में बडे ब्रेकडाउन से विभाग के इंजीनियरों के पसीने छूट रहे हैं।पावर ग्रिड कार्पोरेशन आफ इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक आरपी सिंह ने कहा ‘यह असाधारण स्थिति है।


मैने 37 साल के पॉवर सेक्टर के कैरियर में ऐसी हालत नहीं देखी।’ देश के सबसे बड़े विद्युत आपूर्तिकर्ता पावर ग्रिड कार्पोरेशन में खराबी आने के दो दिन बाद सिंह ने यह वक्तव्य दिया।


इसमें खराबी आने के कारण उत्तरी भारत के कई इलाकों में आपूर्ति प्रभावित हुई है।सिंह ने कहा, ‘यह मानवीय समस्या है। गाड़ियों के धुएं और इसी तरह के प्रदूषण से इंसुलेटर काले पड़ गए हैं।’


उत्तरी ग्रिड के 2100 मेगावाट क्षमता वाले इस ट्रांसमिशन सेंटर पर शुक्रवार को करीब 50 ग्रिड में एक साथ ट्रांसमिशन लिंक ट्रिप हुआ। इसके प्रभाव में दिल्ली सहित हरियाणा और उत्तर प्रदेश में आपूर्ति बाधित हो गई।यह कहा गया कि जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसी घटना हुई क्योंकि पानी की कुछ बूंदे आने से ट्रांसमिशन लिंक प्रभावित हुआ।


नमी अधिक होने, प्रदूषण फैलाने वाले कण और प्रदूषण के अन्य कारकों ने इंसुलेटर को प्रभावित किया। सभी लिंक जुड़ जाने के बाद भी अधिकारी इस बात के लिए कहीं से निश्चिंत नहीं दिखते कि ऐसा दोबारा नहीं होगा।


बहरहाल तात्कालिक योजना यह है कि इंसुलेटर के डिटजर्ट क्लीनिंग के मैनुअल प्रयोग किए जाएं। अगले सप्ताह तक के लिए यह व्यवस्था की गई है। शनिवार की रात को हुई आपात बैठक में तत्काल सफाई के लिए प्राथमिकता तय की गई। सिंह ने कहा, ‘अगर लंबे समय के लिए इस समस्या का समाधान चाहिए तो इंसुलेटर बदलने पडेंगे।


इसके लिए संबंधित राज्यों से  केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण इस मसले पर बातचीत करेगा।’ अधिकारियों का कहना है कि इसका बिल 150 करोड़ रुपये से अधिक आएगा।


केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग के एक सदस्य ने कहा, ‘यह एक प्राकृतिक आपदा है।’ इंसुलेटरों को एक सीमा तक धूल और प्रदूषण को बर्दाश्त करने के लिए सक्षम बनाया गया है, लेकिन उस सीमा से अधिक समस्या आने पर ही ऐसी हालत पैदा हुई ।


ग्रिड में आई आंशिक खराबी ने पूरे ग्रिड को नष्ट होने से बचा लिया। इसे ठीक करने में अभी कुछ समय और लगेगा। ट्रांसमिशन कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमारे ट्रांसमिशन सिस्टम में कोई समस्या नहीं है। इसमें तेजी से और अधिक सफाई की जरूरत है।’


ट्रांसमिशन सेक्टर के अधिकारियों का कहना है, ‘लंबे समय तक इसे ठीक रखने के लिए जरूरी है कि ट्रांसमिशन सिस्टम को ऐसे प्रदूषणकारी तत्वों से बचाया जाए।’

First Published - March 10, 2008 | 9:48 PM IST

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