सरकार ने उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) के तहत सभी 14 योजनाओं के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया था, लेकिन इसमें से 41,000 करोड़ रुपये का अब तक इस्तेमाल नहीं हो सका है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी।
इसका मतलब यह हुआ कि आवंटित राशि में से महज 80 प्रतिशत (1.56 लाख करोड़ रुपये) का इस्तेमाल हुआ है। इसका इस्तेमाल अगले कुछ साल में लाभ का दावा करने वाली पात्र कंपनियों को भुगतान करने में किया जाएगा।
धनराशि का इस्तेमाल न हो पाने या धन बचने की वजह कम उद्योगों के इसे अपनाने, योजना के प्रति सुस्त प्रतिक्रिया और योजना के लिए आवंटन में कमी है। वहीं कुछ मामलों में सरकारी एजेंसियों द्वारा लाभार्थियों के दावे खारिज किए गए हैं, क्योंकि कंपनियां इसके मानदंड नहीं पूरा कर सकीं। इसकी वजह से योजना के धन का इस्तेमाल उम्मीद से कम हो पाया है।
उदाहरण के लिए साल 2020 में वाहन और वाहनों के कलपुर्जा उद्योग के लिए 57,042 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया, जिसे 2021 में योजना को अधिसूचित किए जाते समय आधे से ज्यादा घटाकर 25,938 करोड़ रुपये कर दिया गया क्योंकि शीर्ष सरकारी अधिकारियों का मानना है कि इस सेक्टर को इतना धन आवंटित किए जाने की जरूरत नहीं है।
दिसंबर 2021 तक उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) ने PLI योजना के तहत कुल 11,484 करोड़ रुपये बचत का अनुमान लगाया, क्योंकि विभिन्न PLI योजना के आवंटन में बदलाव किया गया था।
बचत या इस्तेमाल न किए जा सके धन का आवंटन किसी अन्य सरकारी विभाग को धन की जरूरत पड़ने पर किया जा सकता है, अगर नई पीएलआई योजना शुरू की जाती है। इसका प्रावधान इस योजना की डिजाइन में किया गया है।
पिछले एक साल के दौरान कुछ सरकारी विभागों ने ज्यादा पीएलआई योजना पेश करने पर जोर दिया है। हालांकि शीर्ष सरकारी अधिकारियों का मानना है कि नई योजना को मौजूदा योजना के असर के आकलन के बाद ही लागू किया जाना चाहिए।
DPIIT ने खिलौनों की पीएलआई योजना के लिए 3,489 करोड़ रुपये, चमड़ा व फुटवेयर उद्योग की पीएलआई योजना के लिए 2,600 करोड़ रुपये आवंटित करने की सिफारिश की है। सरकार के अधिकारियों ने साफ किया है कि दोनों मामले में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा योजना को अब तक मंजूरी नहीं दी गई है। ऐसे में इस मद में वित्त वर्ष 2025 के लिए सिर्फ टोकन प्रावधान किया गया है।
अंतरिम बजट दस्तावेज के मुताबिक, ‘अगर कोई इकाई भारत सरकार की किसी अन्य पीएलआई योजना के तहत लाभ उठा रही है तो वह उसी उत्पाद के लिए पात्र नहीं होगी।’
पिछले सप्ताह बजट के बाद के साक्षात्कार में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा था कि न सिर्फ डीपीआईआईटी बल्कि कई विभागों ने अलग अलग पीएलआई की मांग की है और इन पर विचार चल रहा है।
गोयल ने कहा कि इस पर विचार होगा कि कौन-सी योजना फायदेमंद है और देश हित में होगी।