करीब एक दर्जन पात्र कपड़ा कंपनियों को वस्त्र उद्योग के लिए आई उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत पहली बार प्रोत्साहन राशि का भुगतान मिलने वाला है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने शुक्रवार को कहा, ‘करीब 40 कंपनियों ने पहले ही निवेश कर दिया है। हम मार्च 2024 तक योजना के विकास अवधि में थे। हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस वित्त वर्ष के दौरान 10 से 12 कंपनियों को प्रोत्साहन का भुगतान (पीएलआई के तहत) मिलेगा।’
मानव निर्मित कपड़ा (एमएमएफ), वस्त्र और टेक्निकल टेक्सटाइल्स के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए यह योजना 2021 में शुरू की गई थी। इसके लिए 10,683 करोड़ रुपये का बजट आवंटन किया गया था। हालांकि, इस योजना को निजी कारोबारियों की ओर से बहुत सुस्त प्रतिक्रिया मिली।
इस साल की शुरुआत में कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में बनी समिति ने वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 14 पीएलआई सेक्टरों में से टेक्सटाइल सहित 3 में निवेश में धीमी प्रगति की बात कही थी। इसे देखते हुए यह उल्लेखनीय प्रगति है। कपड़ा मंत्रालय ने दिसंबर 2021 में पहली बार इस योजना के दिशानिर्देश जारी किए थे।
सरकार को सिर्फ 6,000 करोड़ रुपये निवेश के 64 आवेदन मिले। ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि कुछ कारोबारियों ने सरकार को सूचित किया था कि वे प्रस्तावित टेक्सटाइल श्रेणी में निवेश करने को इच्छुक नहीं हैं, क्योंकि इन क्षेत्रों में उनकी विशेषज्ञा नहीं है।
मानव निर्मित फैब्रिक में विस्कोस, पॉलिस्टर, ऐक्रेलिक शामिल हैं, जो केमिकल्स से बने होते हैं। निर्यातकों का मानना है कि भारत के कुल परिधान निर्यात में मानव निर्मित फैब्रिक की हिस्सेदारी करीब 20 फीसदी है। वहीं टेक्निकल टेक्सटाइल नए दौर का टेक्सटाइल है, जिसका इस्तेमाल पर्सनल प्रोटेक्टिव उपकरण (पीपीई) किट, एयरबैग, बुलेटफ्रूफ वेस्ट्स में किया जा सकता है। साथ ही इसका इस्तेमाल उड्डयन, रक्षा और बुनियादी ढांचा जैसे क्षेत्रों में भी हो सकता है।
कपड़ा मंत्रालय ने कपड़ा क्षेत्र के लिए एक और पीएलआई को मंजूरी देने की मांग की है, जिसमें अपैरल सेग्मेंट पर ध्यान होगा। इस योजना के लिए 4,000 करोड़ रुपये के बजट की उम्मीद की जा रही है, जितनी राशि का योजना के तहत इस्तेमाल नहीं हो सका है। पीएलआई योजना के दूसरे संस्करण में सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।