भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने देश की तेल कंपनियों को यह अनुमति दे दी है कि वे कच्चे तेल की घरेलू खरीद और पेट्रोलियम उत्पादों पर कमोडिटी मूल्य जोखिम पर हेजिंग कर सकते हैं।
आरबीआई ने रिफाइनिंग कंपनियों से कहा है कि पिछले साल के दौरान उन्होंने जितना आयात किया है, उसका 50 फीसदी वे हेज कर सकते हैं या फिर बीते तीन सालों के दौरान उन्होंने जितना औसत आयात किया है, उसका 50 फीसदी हेज कर सकती हैं। इनमें से जो भी ज्यादा होगा उसकी अनुमति दी जाएगी।
हालांकि इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए तेल कंपनियों को सबसे पहले निर्धारित अनुबंध के नियमितीकरण का आश्वासन देना होगा। मसलन कंपनियों को संबंधित आयात ऑर्डर को आरबीआई के समक्ष प्रस्तुत करना होगा। आरबीआई द्वारा जो प्रावधान प्रस्तावित किए गए हैं, उसके मद्देनजर कंपनियों को यह आजादी होगी कि वे आरबीआई के नियमों से बंधे बिना अपने भुगतान पर हेज कर सकती हैं।
गौरतलब है कि भारतीय तेल कंपनियां विदेशी कंपनियों से तेल खरीदती हैं और उसे देश में प्रसंस्कृत करती हैं। उसके बाद इसे भारतीय तेल कंपनियों को बेचा जाता है।विशेषज्ञों ने बताया कि क्योंकि भारतीय तेल कंपनियों को आरबीआई द्वारा हेज करने की अनुमति नहीं थी, इस वजह से घरेलू तेल कंपनियां आने वाले समय के अपने भुगतान का अभी तक हेज नहीं कर पाती थीं। जब तक अनुमति मिलती थी तब तक तेल के दाम काफी ज्यादा बढ चुके होते थे।
आरबीआई ने भारतीय तेल कंपनियों को यह भी अनुमति दी है कि वे विदेशों में ऊर्जा और प्राकृतिक संसाधनों संबंधी क्षेत्रों, उदाहरण के लिए तेल, गैस, कोयला, और खनिज अयस्क आदि में केंद्रीय बैंकों के नियमानुसार निवेश कर सकती हैं।
इसमें कोई शक नहीं कि आरबीआई की इस पहल से देश की बड़ी कंपनियों, उदाहरण के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज- जिसने विदेशों में तेल परिसंपत्तियों के लिए नजरें गड़ाई हुई हैं- को सबसे अधिक फायदा होगा।