शहरी विद्युत सुधारों के लिए केंद्र सरकार की अग्रणी इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम (आईपीडीएस) ने पूर्वोत्तर के सात राज्यों में उच्च सफलता दर हासिल की है। इन राज्यों में जनवरी, 2021 के मुताबिक इस योजना की सफलता दर 90 फीसदी है। व्यवस्था सुदृढ़ीकरण के तहत अंतिम स्थान तक विद्युत आपूर्ति के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जाना है। वरिष्ठï अधिकारियों ने कहा कि इस दिशा में भौतिक प्रगति 86 फीसदी है जो देश भर में सर्वाधिक है।
आईपीडीएस का व्यवस्था सुदृढ़ीकरण हिस्सा मार्च 2021 में पूरा होगा। विद्युत मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि वित्त वर्ष के अंत तक व्यवस्था सुदृढ़ीकरण में 100 फीसदी की प्रगति हासिल कर ली जाएगी। असम, नगालैंड, सिक्किम और मणिपुर पहले ही व्यवस्था सुदृढ़ीकरण के लिए परियोजना के आवंटन में 100 फीसदी की प्रगति हासिल कर चुके हैं।
व्यवस्था सुदृढ़ीकरण में अपनी 100 फीसदी परियोजनाओं का आवंटन करने वाले अन्य राज्य गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान हैं। इन राज्यों की भौतिक प्रगति का आंकड़ा उपलब्ध नहीं था। आवंटित राशि से पता चलता है कि राज्यों ने परियोजनाओं के लिए ठेकेदारों/परियोजना प्रबंधन एजेंसियों की नियुक्ति की है और परियोजनाएं क्रियान्वित हो रही हैं।
पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए अधिकांश परियोजना प्रबंधन एजेंसियां केंद्र सरकार की हैं जिनमें आरईसी विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (आरईसीपीडीसीएल), वाप्कोस लिमिटेड और राष्टï्रीय विद्युत प्रशिक्षण प्रतिष्ठïान (एनपीटीआई) शामिल हैं।
शहरी क्षेत्रों में विद्युत बुनियादी ढांचे में सुधार करने और विद्युत आपूर्ति में स्मार्ट मीटर तथा आईटी प्रणालियों की शुरुआत करने के लिए 2015 में शुरू की गई आईपीडीएस केंद्र की अग्रणी योजना है। आईपीडीएस के तहत केंद्रीय अनुदान 60 फीसदी है और पूर्वोत्तर राज्यों सहित विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों के लिए यह 85 फीसदी है।अधिकारी ने कहा, ‘आईपीडीएस योजना के क्रियान्वयन से पूर्वोत्तर राज्य के क्षेत्र में विद्युत विश्वसनीयता में महत्त्वपूर्ण सुधार हुआ है। दूर दराज के क्षेत्रों में भी विद्युत आपूर्ति बेहतर हो गई है।’ साल 2020 में अप्रैल से नवंबर की अवधि में अधिकतम मांग के समय बिजली आपूर्ति में कमी (मांग और आपूर्ति में अंतर) 5.7 फीसदी रही। 2015 में यह 8.4 फीसदी रही थी।
अधिकारी ने कहा कि चूंकि पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों ने आईपीडीएस का एक हिस्सा पूरा कर लिया है, वे अन्य हिस्से भी तेजी से पूरा करेंगे। अधिकारी ने कहा, ‘स्मार्ट मीटर लगाने का काम पहले से ही इन राज्यों में रफ्तार के साथ हो रहा है। इसी के अनुरूप आईटी का बुनियादी ढांचा भी तैयार हो रहा है। पूर्वोत्तर क्षेत्र शहरी विद्युत सुधारों में राह दिखाएगा।’
आईपीडीएस के तहत प्रणाली के सुदृढ़ीकरण और स्मार्ट मीटर लगाने का अनुमानित परिव्यय 32,612 करोड़ रुपये है जिसमें पूरे क्रियान्वयन अवधि में केंद्र सरकार का बजटीय समर्थन 25,354 करोड़ रुपये का है। आईटी सक्षमता, भूमिगत केबल बिछाने जैसे बाकी कार्यों को 22,727 करोड़ रुपये का बजटीय समर्थन दिया गया था। केंद्रीय बजट 2020-21 के दौरान आईपीडीएस को 5,300 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन दिया गया था।
