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‘नकदी देने में कोई समझौता नहीं किया’

Last Updated- December 12, 2022 | 7:47 AM IST

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज कहा कि संपत्ति खरीद के माध्यम से बॉन्ड बाजार को नकदी मुहैया कराते समय रिजर्व बैंक अपनी बैलेंस शीट से समझौता नहीं किया गया है। केंद्रीय बैंक ने इस वित्त वर्ष में अब तक 3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के केंद्र व राज्य सरकारों के बॉन्ड द्वितीयक बाजार से खरीदे हैं, जिससे व्यवस्था में नकदी मुहैया कराई जा सके।
हालांकि तमाम केंद्रीय बैंकों के विपरीत रिजर्व बैंक की संपत्ति खरीद ‘बैलेंस शीट को कमजोर नहीं करती और इस तरह से केंद्रीय बैंकिंग के मूल सिद्धांतोंं से समझौता नहीं होता है।’ उन्होंने कहा कि खरीद सिर्फ जोखिम रहित सरकारी बॉन्डों की हुई थी।
बॉम्बे चैंबर आफ कॉमर्स  के स्थापना दिवस के संबोधन में दास ने कहा, ‘वित्तीय स्थिरता को जोखिम में डाले बगैर अनुकूल वित्तीय स्थितियों के पोषण पर ध्यान था।’
इस अवधि के दौरान रिजर्व बैंक की संचार रणनीति में अग्रिम अनुमान ने महत्त्व हासिल किया, जिससे सहकारी परिणाम महसूस किए जा सकें। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक ‘वित्तीय स्थिरता बनाए रखते हुए व्यवस्था में पर्याप्त नकदी का प्रावधान कर रिकवरी प्रक्रिया को समर्थन करना जारी रखेगा।’
भाषण के पहले और बाद में 10 साल का बॉन्ड प्रतिफल 6.16 प्रतिशत पर बरकरार रहा।
संबोधन के बाद सवाल-जवाब सत्र में रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि केंद्रीय बैंक में डिजिटल करेंसी के सिलसिले में ‘आंतरिक रूप से बहुत कुछ चल रहा है।’ रिजर्व बैंक जल्द ही व्यापक दिशानिर्देश व तरीके पेश करेगा। बहरहाल कुछ मसले हैं, जिनका आंतरिक रूप से समाधान जरूरी है और इस पर काम चल रहा है।
गवर्नर ने कहा, ‘हम इस तकनीकी क्रांति में पीछे नहीं छूटना चाहते हैं, जो जगह ले रही है। हमें इस समय दो पहलुओं की जरूरत है। पहला ब्लॉकचेन के तकनीकी हिस्से और लाभों, जिसके पूंजीकरण की जरूरत है, से जुड़ा है। अन्य पहलू केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा से संबंधित है।’
बहरहाल क्रिप्टोकरेंसी को लेकर केंद्रीय बैंक की कुछ चिंता है, जिसका समाधान सरकार को करना है।
दास ने कहा कि ईंधन के दाम ज्यादा होने से ‘लागत के मामले में असर होगा और विभिन्न गतिविधियों में इससे कीमतें बढ़ेंगी।’ उन्होंने कहा कि इससे सिर्फ यात्री प्रभावित नहीं हो रहे हैं, बल्कि डीजल व पेट्रोल के दाम ज्यादा होने की वजह से विनिर्माण, ढुलाई व अन्य चीजों पर असर पड़ रहा है।
गवर्नर ने कहा, ‘केंद्र व राज्य सरकारें अप्रत्यक्ष कर लगाती हैं। केंद्र व राज्यों के बीच तालमेल बिठाने की जरूरत है और कर घटाने के लिए तालमेल के साथ कदम उठाया जाना चाहिए।’
उन्होंने कहा कि राजस्व बढ़ाने के लिए ज्यादा करों की जरूरत है, लेकिन महंगाई पर पडऩे वाले इसके असर पर विचार किया जाना चाहिए।  
प्रस्तावित बैड बैंक या संपत्ति पुनर्गठन कंपनी (एआरसी) बैंकों द्वारा बनाई जा रही है, जिससे मौजूदा एआरसी की गतिविधियों पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा।  गवर्नर ने कहा, ‘मुझे लगता है कि बैंकों द्वारा गठित एक और मजबूत एआरसी के गठन की गुंजाइश है।’
बड़े बकायों और इनके निरीक्षण और बैंकों की दबाव वाली संपत्तियों के सिलसिले में को लेकर रिजर्व बैंक को अद्यतन जानकारी है। गवर्नर ने कहा कि भारत के बैंक अब बेहतरीन स्थिति में हैं। दास ने कहा, ‘हम सरकारी व निजी दोनों ही बैंकों पर लगातार नजर रख रहे हैं कि वे इस मसले से कैसे निपट रहे हैं। प्रमुख मसला बैंकों के कामकाज में सुधार को लेकर है।’
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक बैंकों के कर्ज देने के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करता है, लेकिन यह सुनिश्चित करता है कि रुपया सीमित दायरे में बना रहे।  उन्होंने कहा, ‘रिजर्व बैंक का दायित्व यह सुनिश्चित करना है कि विनिमय दर में स्थिरता रहे और हमेशा हमारा ध्यान अनावश्यक उतार-चढ़ाव रोकने पर रहता है, जिससे कि निर्यातक और यहां तक कि आयातकों व अन्य कारोबारी फैसले कर सकें।’

First Published - February 25, 2021 | 11:37 PM IST

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