वित्त मंत्रालय ने आज एक नई ऋण योजना की घोषणा की जिसके तहत दबावग्रस्त क्षेत्रों को पांच वर्ष तक की ऋणस्थगन की सुविधा दी जाएगी। सरकार के इस फैसले पर कंपनियों के मुख्य कार्याधिकारियों ने कहा कि इससे उन्हें महामारी के कारण परेशान कंपनियों को उबारने में मदद मिलेगी और नई कंपनियों में निवेश करने के लिए उन्हें प्रोत्साहन प्राप्त होगा। योजना के तहत 26 दबावग्रस्त क्षेत्रों में कंपनियों को सीमित ब्याज दरों पर बिना गिरवी के अतिरिक्त ऋण मुहैया कराया जाएगा। इन क्षेत्रों की पहचान पूर्व बैंकर के वी कामत की अगुआई वाली समिति ने इस साल अक्टूबर में की थी। योजना के तहत ऋणस्थगन की समय सीमा को भी इस साल दिसंबर से बढ़ाकर अगले वर्ष का मार्च कर दिया गया है जिससे दबावग्रस्त क्षेत्रों में शामिल कॉर्पोरेट जगत को मदद मिलेगी। समिति द्वारा चिह्नित दबावग्रस्त क्षेत्रों में विमानन, बिजली, निर्माण, इस्पात, सड़क और रियल एस्टेट सहित कई क्षेत्र शामिल हैं। वित्त मंत्रालय ने कहा कि आपात ऋण सहायता गारंटी योजना (ईसीएलजीएस 2.0) की अवधि पांच वर्ष होगी जिसमें मूल राशि को लौटाने पर एक वर्ष की रोक की समय सीमा को बढ़ाकर अगले वर्ष के मार्च तक के लिए कर दिया गया है। इस योजना के लिए सालाना कारोबार की कोई ऊपरी सीमा नहीं तय की गई है लेकिन कंपनी पर इस साल 29 फरवरी को 50 करोड़ रुपये से अधिक और 500 करोड़ रुपये तक का बकाया होना चाहिए।
टाटा प्रोजेक्ट्स के प्रबंध निदेशक विनायक देशपांडे ने कहा, ’10 महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए नए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन से देश में विनिर्माण गतिविधि को बढ़ाने में मदद मिलेगी जिससे नए और विस्तारित विनिर्माण संयंत्रों की आवश्यकता पड़ेगी।’
किनारा कैपिटल की मुख्य वित्त अधिकारी ऐश्वर्या रवि ने कहा कि ईसीएलजीएस की सीमा को बढ़ाकर चालू वित्त वर्ष के अंत तक किया जाना एक सकारात्मक कदम है। उन्होंने कहा, ‘लॉकडाउन के बाद एमएसएमई नकदी की किल्लत से परेशान हैं। ईसीएलजीएस अंतिम छोर के एनबीएफसी को भी छोटे कारोबारों को तुरंत सहायता प्रदान करने की अनुमति देती है ताकि वे अपने को स्थिर करें और अपने कारोबार को दोबारा शुरू कर सकें।’ वित्त मंत्रालय ने कहा कि योजना से पहले ही तमाम कर्ज लेने वालों को लाभ हुआ है।
