कोविड संबंधित बाधाओं के कारण वित्त वर्ष 2020-21 के लगातार दूसरे महीने में जीवन बीमा कंपनियों के नए बिजनेस प्रीमियम (एनबीपी) में नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई।
मई में जीवन बीमाकर्ताओं का एनबीपी 25.4 फीसदी संकुचित होकर 13,739 करोड़ रुपये रह गया जबकि इससे पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 18,414 करोड़ रुपये रहा था।
वित्त वर्ष 2021 के पहले दो महीनों में जीवन बीमाकर्ताओं का एनबीपी करीब 30 फीसदी घटकर 20,466.76 करोड़ रुपये रह गया जो 2019-20 में 28,395.90 करोड़ रहा था। एनबीपी किसी खास वर्ष में नई पॉलिसियों से प्राप्त प्रीमियम होता है। इसके अलावा, समग्र बीमित राशि में भी 20.2 फीसदी की कमी आई है। यह मई 2019 तक के 5.8 लाख करोड़ रुपये से घटकर मई 2020 में 4.7 लाख करोड़ रुपये रह गई।
एक ओर जहां 23 निजी जीवन बीमाकर्ताओं ने मई में एनबीपी 28 फीसदी की कमी दर्ज की वहीं सरकारी स्वामित्व वाली बीमा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने एनबीपी में 24 फीसदी की कमी दर्ज की। अप्रैल और मई के ज्यादातर समय देश में लॉकडाउन लागू था और इस दौरान व्यवसायों को अपना परिचालन करने में कठिनाई का सामना करना पड़ा। जबकि इस दौरान सरकार की ओर से कुछ ढील दी गई थी। निजी जीवन बीमाकर्ताओं ने डिजिटल वितरण पर अधिक ध्यान केंद्रित किया क्योंकि लॉकडाउन के दौरान एजेंसी बल, बैंक आश्वासन आदि जैसे वितरण के परंपरागत तरीके को अपनाना संभव नहीं था।
यस सिक्योरिटीज ने एक नोट में कहा, ‘ऑनलाइन चैनल के जरिये बीमा के लिए मांग में आनुपातिक वृद्धि देखी गई है।’ इस नोट में कहा गया है कि ऑनलाइन चैनल में निजी बीमाकर्ताओं को अपनी तैयारियों, इंश्योरटेक में निवेशों और वेब एग्रीगेटरों से साझेदारी के कारण एलआईसी पर वरीयता प्राप्त है।
