अर्थव्यवस्था

टैक्स रिफंड बढ़ने से घटा नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन, कॉरपोरेट टैक्स में 3.7% गिरावट

कॉरपोरेट टैक्स संग्रह में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। इसमें 3.7 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि गैर-कॉरपोरेट कर संग्रह भी मामूली 0.04 प्रतिशत घटा है।

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मोनिका यादव   
Last Updated- July 12, 2025 | 10:01 AM IST

वित्त वर्ष 2025 की शुरुआत में केंद्र सरकार को प्रत्यक्ष कर संग्रह के मोर्चे पर झटका लगा है। 10 जुलाई तक देश का नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन (शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह) 1.3 फीसदी घटकर करीब ₹5.63 लाख करोड़ रह गया है।

कॉरपोरेट टैक्स संग्रह में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। इसमें 3.7 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि गैर-कॉरपोरेट कर संग्रह भी मामूली 0.04 प्रतिशत घटा है।

हालांकि इस अवधि में सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) एकमात्र ऐसा कर रहा, जिसमें वृद्धि देखी गई। यह 7.46 फीसदी बढ़कर ₹17,874 करोड़ पहुंच गया, जो पिछले वर्ष इसी अवधि में ₹16,632 करोड़ था।

रिफंड्स के आंकड़ों में बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिली है। 10 जुलाई तक टैक्स विभाग ने करीब ₹1.02 लाख करोड़ की रिफंड राशि जारी की, जो पिछले साल की तुलना में 38 फीसदी ज्यादा है।

रिफंड्स से पहले देखें तो ग्रॉस टैक्स कलेक्शन (सकल कर संग्रह) 3.17 प्रतिशत बढ़कर लगभग ₹6.65 लाख करोड़ तक पहुंच गया। लगभग एक महीने पहले यानी 10 जून तक सकल संग्रह में 4.86 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी, जब यह आंकड़ा ₹5.45 लाख करोड़ पर था।

इससे पहले 19 जून तक शुद्ध कर संग्रह साल दर साल 1.4 फीसदी नीचे था, जो अब गिरावट के साथ बरकरार है।

10 जुलाई तक कॉरपोरेट टैक्स वसूली में 9.42 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। हालांकि, इस दौरान सरकार ने अब तक कुल ₹89,863 करोड़ टैक्स रिफंड के रूप में वापस किए हैं, जो पिछले साल की तुलना में 56.85 फीसदी ज़्यादा हैं। यानी टैक्स की आमदनी बढ़ी तो सही, लेकिन बड़ा हिस्सा रिफंड के रूप में चला भी गया।

वहीं, गैर-कॉरपोरेट करदाताओं — जैसे व्यक्तिगत करदाता, हिंदू अविभाजित परिवार, फर्म, व्यक्तियों के समूह, व्यक्तियों के संघ, स्थानीय निकाय और कृत्रिम न्यायिक व्यक्ति — से मिलने वाला शुद्ध टैक्स संग्रह मामूली गिरावट के साथ लगभग ₹3.45 लाख करोड़ रहा। हालांकि इस श्रेणी में रिफंड की राशि घटकर ₹12,114 करोड़ रह गई, जो सालाना आधार पर करीब 27 फीसदी की गिरावट है।

कर विशेषज्ञों का मानना है कि कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह में कमी का एक बड़ा कारण टैक्स रिफंड में तेज़ी है, लेकिन कुछ अन्य कारण भी जिम्मेदार हैं।

ईवाई इंडिया के टैक्स भागीदार समीर कनाबार के अनुसार, “नए व्यक्तिगत आयकर स्लैब ढांचे से बड़ी संख्या में करदाताओं को राहत मिली है, जिससे उनकी कर देनदारी घट गई है। दूसरी ओर, कंपनियों द्वारा पूंजीगत खर्च बढ़ने के कारण उनके अवमूल्यन दावे (डिप्रिसिएशन क्लेम) ज़्यादा हुए हैं, जिससे तुरंत चुकाए जाने वाले टैक्स पर असर पड़ा है।”

उन्होंने यह भी कहा कि “तेज़ रिफंड प्रक्रिया, टैक्स राहत और पूंजीगत निवेश को बढ़ावा देने जैसे उपाय सरकार की उस व्यापक नीति का हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य आर्थिक गतिविधियों को रफ्तार देना और लॉन्गटर्म ग्रोथ को समर्थन देना है।”

वित्त वर्ष 2025-26 के लिए केंद्र सरकार ने प्रत्यक्ष कर संग्रह का अनुमान ₹25.2 लाख करोड़ रखा है। इससे पिछले वित्त वर्ष यानी 2024-25 में प्रत्यक्ष कर संग्रह 13.57% बढ़कर ₹22.26 लाख करोड़ पहुंच गया था, जो कि बजट अनुमान ₹22.07 लाख करोड़ से अधिक रहा।

शार्दूल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी में पार्टनर गौरी पुरी का कहना है कि शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह में आई गिरावट की अहम वजह टैक्स रिफंड्स में बढ़ोतरी है। उन्होंने कहा कि यह सरकार की करदाता सेवाओं में सुधार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। समय पर और प्रभावी तरीके से रिफंड जारी करना कारोबार करने में आसानी सुनिश्चित करने का एक अहम पहलू है।

First Published : July 12, 2025 | 10:01 AM IST