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महंगाई रोकने की कवायद से पड़ोसी बेहाल

Last Updated- December 06, 2022 | 12:04 AM IST

भारत ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए जो कदम उठाए हैं उससे पड़ोसी देशों खासकर नेपाल में आवश्यक जिंसों जैसे चावल और सीमेंट की किल्लत हो गई है।


मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए भारत ने इन जिंसों के निर्यात पर रोक लगा दी है।इस तरह की रोक से श्रीलंका, बांग्लादेश और भूटान समेत सभी सार्क देश प्रभावित हुए हैं। इस कदम से स्थिति भयावह हो गई है और भारत की इन देशों के साथ आर्थिक रणनीति प्रभावित हो रही है। इन  क्षेत्रों में राजनीतिक पहल भी प्रभावित होती नजर आ रही है।


नेपाल सरकार ने भारत से कहा है कि वे सीमेंट के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध को थोड़ा ढीला करे। नेपाल अभी राजनीति के एक बेहद परिवर्तनशील मोड़ पर खड़ा है और आनेवाली माओवादी सरकार ने भारत से कहा कि भारत को पिछले 58 साल के भारत-नेपाल शांति एवं मित्रता संधि का ख्याल करना चाहिए।


11 अप्रैल को सीमेंट के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था ताकि घरेलू बाजार में इसकी उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके और दामों को नियंत्रित किया जा सके। भारत ने इस प्रतिबंध के जरिये नेपाल की सीमेंट बनाने वाली 40 कंपनियों को सीमेंट बनाने के एक प्रमुख घटक क्लिंकर्स का निर्यात करना बंद कर दिया था।


नेपाल के कुल सीमेंट उत्पादन का 80 प्रतिशत और क्लिंकर्स का पूरा हिस्सा भारत से पूरा किया जाता है। 2006-07 में भारत ने नेपाल को 4 करोड़ 40 लाख डॉलर का सीमेंट निर्यात किया था।


कंस्ट्रक्शन मेटेरियल डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मानिक रत्ना तुलाधर ने कहा कि जब से सीमेंट के निर्यात पर भारत ने प्रतिबंध लगाया है तब से नेपाल में इसकी कीमत 100 रुपये बढ़ गई है और प्रति 50 किग्रा के सीमेंट की बोरी की कीमत 650 रुपये के आसपास हो गई है। नेपाल में लगभग सीमेंट बनाने वाली सभी इकाइयां बंद हो गई है।


नेपाल के अलावा श्रीलंका, भूटान और बांग्लादेश ने भारत से कहा है कि वे गैर-बासमती चावल के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध को कम करे। भूटान ने तो चावल और सीमेंट दोनों पर से निर्यात प्रतिबंध हटाने को कहा है।नेपाल के जिंस कारोबार से जुड़े एक व्यापारी ने बताया कि नेपाल की कुल चावल जरूरतों का 40 से 50 प्रतिशत भाग भारत से पूरा किया जाता है।


नेपाल के चावल, तेल और दाल उद्योग एसोसिएशन के अध्यक्ष कुमुद कुमार दुगर ने कहा कि जब से प्रतिबंध लगाया गया है तब से नेपाल में चावल की कीमत 200 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ गई है। नेपाल को अब भारत के जरिये वे चावल भी नहीं मिल रहे हैं जो खाद्य सहायता योजना के तहत मिला करते थे। इस पर तो कम से कम प्रतिबंध नहीं लगना चाहिए।


श्रीलंका भी अनाजों की कमी से जूझ रहा है। श्रीलंका में आई बाढ़ की वजह से वहां की चावल की फसल बर्बाद हो गई है। भारत के द्वारा लगाए गए प्रतिबंध और बाढ़ की वजह से वहां पर चावल की कीमत में 60 रुपये से 100 रुपये प्रति किलोग्राम की बढो़तरी हुई है। बांग्लादेश को भी इन अनाजों की सख्त जरूरत है क्योंकि नवंबर 2007 में आए चक्रवाती तूफान की वजह से उसके अनाज का भंडार नष्ट हो गया था।


वैसे इन प्रतिबंधों से मालदीव पर कोई असर नहीं पडा है क्योंकि मालदीव की भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार संधि हो चुकी है और इसलिए इन सारे कदमों से वह अछूता है। लेकिन इसी तरह की द्विपक्षीय संधि के तहत साफ्टा के अंतर्गत श्रीलंका, नेपाल और भूटान भी जुड़े हुए हैं लेकिन इस संधि में मालदीव के साथ हुए संधि जैसा कोई उपबंध नहीं है।


भारत सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस संबंध में जो भी मांगे आ रही हैं उन पर विचार किया जा रहा है। हालांकि ये देश अपने देश की खपत के आधार पर इन चीजों की गणना कर रहे हैं।

First Published - April 28, 2008 | 10:44 PM IST

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