चालू वित्त वर्ष की दो तिमाहियों में लगातार अर्थव्यवस्था में संकुचन के बाद अब सबकी नजर तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों पर है। अर्थशास्त्री इस बात को लेकर बंटे हुए हैं कि तीसरी तिमाही में मंदी बनी हुई है, या अर्थव्यवस्था में वृद्धि दर्ज होगी। अक्टूबर-दिसंबर 2020-21 तिमाही के बारे में अर्थशास्त्रियों का अनुमान जीडीपी में 0.3 प्रतिशत गिरावट से लेकर 0.7 प्रतिशत की वृद्धि तक है।
तीसरी तिमाही के जीडीपी के आंकड़े अगले सप्ताह जारी होंगे।
इक्रा ने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट में आंकड़े पेश किए हैं, जिसके मुताबिक तीसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 0.7 प्रतिशत रहेगी। पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था में 23.9 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 7.5 प्रतिशत गिरावट आई थी।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘निजी खपत और सरकार के व्यय से अर्थव्यवस्था में तेजी का लाभ मिलेगा। वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही में वृद्धि के अनुमान के बारे में निश्चित रूप से सुधार और विषमता दिखा रहे हैं और इससे संकेत मिलता है कि दो तिमाहियों के तूफान के बाद अर्थव्यवस्था कोविड-19 महामारी की वजह से आई मंदी से उबर चुकी है।’ इक्रा ने पाया है कि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में अभी हाल मेंं समाप्त तिमाही में 1 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जबकि कच्चे माल के दाम मेंं बढ़ोतरी से कुछ क्षेत्रों में मुनाफा कम हुआ है।
नायर ने कहा, ‘बहरहाल औपचारिक सूचीबद्ध क्षेत्र के बड़े हिस्से में मुनाफा बना हुआ है और लागत घटाने के कदमों से लाभ हो रहा है, जो महामारी चरम पर होने के दौरान उठाए गए थे। साथ ही मात्रा में वृद्धि का भी लाभ मिल रहा है।’ उन्होंने कहा कि औपचारिक अर्थव्यवस्था महामारी से उबर चुकी है और छोटे और कम औपचारिक क्षेत्र को भी गति मिल रही है।
बार्कलेज ने अनुमान लगाया है वित्त वर्ष 21 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 0.4 प्रतिशत रहेगी। बार्कलेज में भारत के मुख्य अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने कहा, ‘भारत में मंदी मुख्य रूप से लॉकडाउन की वजह से है। आवाजाही पर लगे प्रतिबंध हटाए जाने से गतिविधियां तेज हो गई हैं। खासकर खपत बढ़ी है। अब गतिविधियां पिछले साल के स्तर पर पहुंच गई हैं, जिसका नेतृत्व विनिर्माण और कृषि क्षेत्र ने किया है। हम देख रहे हैं कि टीकाकरण के जोर पकडऩे के बाद से सेवा क्षेत्र की गतिविधियां भी बढ़ रही हैं।’
पॉलिसी थिंक टैंक एनसीएईआर ने इस तिमाही में वृद्धि दर 0.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। एनसीएईआर में सीनियर फेलो बरनाली भंडारी ने कहा, ‘भारत की अर्थव्यवस्था सामान्य होने की दिशा में तेजी से बढ़ रही है। मध्यावधि संबंधी चुनौतियां बनी हुई हैं, जो महामारी के पहले भी वृद्धि की राह में थीं।’
एसबीआई रिसर्च और क्वांटइको रिसर्च ने इस तिमाही में 0.3 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया है। एसबीआई समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्यकांति घोष ने कहा कि अब उनका अनुमान वृद्धि की ओर है। इसका मतलब यह है कि जीडीपी वृद्धि अधिक हो सकती है, जो कई कारकों पर निर्भर होगी।
क्वांटइको रिसर्च में अर्थशास्त्री युविका सिंघल ने कहा कि मामूली वृद्धि का नेतृत्व उद्योगों में विनिर्माण क्षेत्र और सेवाओं में लोक प्रशासन कर रहा है।
वहीं केयर रेटिंग्स, इंडिया रेटिंग्स और क्रिसिल का मानना है कि चौथी तिमाही में ही अर्थव्यवस्था मंदी से बाहर आएगी।
तीसरी तिमाही के आंकड़े के साथ राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) अगले सप्ताह पूरे वित्त वर्ष 21 के लिए जीडीपी के आंकड़ोंं का दूसरा अग्रिम अनुमान भी पेश करेगा। पहले अग्रिम अनुमान में चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि दर 7.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। एसबीआई रिसर्च ने पहले ही इसे 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। अब घोष ने कहा, ‘हमने अब इसे संशोधित कर 7 प्रतिशत किया है।’